12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का बोईंग 787 ड्रीमलाइनर टेक-ऑफ के तुरंत बाद हादसे का शिकार हो गया। यह विमान बीजे मेडिकल कॉलेज की मेस पर आकर गिरा, जहां उस वक्त छात्र भोजन कर रहे थे। हादसे में 297 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें विमान के यात्री, क्रू मेंबर और मेस में मौजूद लोग शामिल थे।
इस भयावह हादसे के बाद राहत कार्य में जुटे चश्मदीदों ने घटनास्थल से कई कीमती चीजें बरामद की हैं — जिनमें सोने के आभूषण, नकद रुपये, पासपोर्ट और एक अग्नि से सुरक्षित भगवद् गीता शामिल हैं।
आग की तीव्रता से नहीं पहुंच सके लोग
हादसे के चश्मदीद 56 वर्षीय राजू पटेल सबसे पहले मौके पर पहुंचने वालों में से थे। उन्होंने बताया कि विमान जैसे ही मेस की बिल्डिंग से टकराया, वहां भीषण आग लग गई। आग की तीव्रता इतनी अधिक थी कि शुरुआती 15-20 मिनट तक कोई भी भीतर नहीं जा सका। राजू पटेल और अन्य स्थानीय लोग घटना के 5 मिनट के भीतर घटनास्थल पर पहुंच गए और राहत-बचाव में जुट गए। आग बुझने तक वे बाहर ही इंतजार करते रहे।
बरामद हुए कीमती सामान: सोना, कैश और गीता
राजू पटेल और उनकी टीम ने मलबे में दबे लोगों की मदद के साथ-साथ उनके सामान की भी तलाशी ली। उन्होंने बताया:
- 70 तोला (800 ग्राम से अधिक) सोने के आभूषण
- ₹80,000 नकद राशि
- कई यात्रियों के पासपोर्ट
- एक सुरक्षित भगवद् गीता
ये सभी चीजें उन्होंने स्थानीय पुलिस को सौंप दीं, ताकि उन्हें पीड़ितों के परिवारों तक पहुंचाया जा सके।
बरामद सामानों का क्या होगा?
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि घटनास्थल से बरामद सभी वस्तुओं का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है। उसके बाद इन्हें पीड़ितों के परिजनों को सौंपा जाएगा।
राजू पटेल, जो एक स्वयंसेवक के रूप में आपदाओं के समय सेवा देते हैं, 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के दौरान भी सक्रिय रूप से मदद कर चुके हैं।
अब तक का सबसे बड़ा विमान हादसा
यह हादसा हाल के वर्षों में भारत का सबसे भयानक विमान हादसा माना जा रहा है। कुल 297 लोगों की जान गई, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
अहमदाबाद एयर इंडिया क्रैश न केवल एक तकनीकी विफलता की दुखद घटना थी, बल्कि इसने मानवता, सेवा और ईमानदारी की मिसालें भी पेश कीं। राजू पटेल जैसे लोगों की तत्परता और ईमानदारी ने राहत कार्यों को दिशा दी और इस कठिन समय में उम्मीद की किरण जगाई।