नमस्ते दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक ऐसी खबर की, जो सुर्खियों में है और जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। 29 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात करीब एक घंटे तक चली। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें नया क्या है? आखिरकार, RSS और बीजेपी का तो पुराना रिश्ता है। लेकिन दोस्तों, यह मुलाकात इतनी साधारण नहीं थी, जितनी दिखाई देती है। इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा और इस मुलाकात के पीछे की कहानी को गहराई से देखना होगा।
पहलगाम हमले का कनेक्शन
यह मुलाकात ठीक उस वक्त हुई, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ। इस हमले में निहत्थे नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई लोगों की जान चली गई। इस घटना ने पूरे देश में गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया। लोग सड़कों पर उतर आए, सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ऐसे में मोहन भागवत का पीएम मोदी से मिलना कोई सामान्य घटना नहीं है।
सूत्रों की मानें तो यह मुलाकात पहलगाम हमले के ठीक बाद हुई। RSS के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इस हमले ने हिंदू समुदाय में गहरी नाराजगी और असुरक्षा की भावना पैदा की है। मोहन भागवत ने पीएम मोदी से मुलाकात में इस गुस्से और चिंता को व्यक्त किया। साथ ही, उन्होंने सरकार को RSS का पूरा समर्थन देने का आश्वासन भी दिया। लेकिन सवाल यह है कि यह मुलाकात इतनी खास क्यों थी? और RSS इसमें इतनी सक्रिय भूमिका क्यों निभा रहा है?
RSS का प्रभाव और इसका महत्व
दोस्तों, RSS कोई साधारण संगठन नहीं है। यह भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जिसके पास लाखों कार्यकर्ताओं का विशाल नेटवर्क है। RSS की विचारधारा और संगठनात्मक शक्ति देश की जनता के बीच गहरी पैठ रखती है। यह संगठन न सिर्फ़ सामाजिक कार्य करता है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी राय रखता है। खासकर ऐसी परिस्थितियों में, जब देश में कोई बड़ा संकट आता है, RSS अपनी ताकत का इस्तेमाल जनमत को प्रभावित करने और सरकार को दिशा दिखाने में करता है।
इस मुलाकात में RSS ने साफ किया कि वह सरकार के साथ खड़ा है, लेकिन साथ ही उसने यह भी जोर दिया कि जनता का गुस्सा और उनकी भावनाओं को समझना जरूरी है। एक RSS नेता ने कहा, “यह समय आपातकाल जैसा है। इसलिए मोहन भागवत जी ने खुद पीएम से मिलने का फैसला किया।” यह बयान अपने आप में बहुत कुछ कहता है।
क्या चाहता है RSS?
अब बड़ा सवाल यह है कि RSS इस मुलाकात के जरिए क्या हासिल करना चाहता है? सूत्रों के मुताबिक, RSS चाहता है कि सरकार इस हमले का जवाब सख्ती से दे। लेकिन साथ ही, वह यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि जनता का गुस्सा सही दिशा में जाए। RSS का मानना है कि अगर जनता का गुस्सा अनियंत्रित हुआ, तो यह सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है। इसलिए, वह सरकार और जनता के बीच एक सेतु की तरह काम करना चाहता है।

RSS के नेटवर्क का इस्तेमाल अब जनता की नब्ज टटोलने में भी किया जा रहा है। संगठन के कार्यकर्ता और उससे जुड़े दूसरे संगठन जमीनी स्तर पर लोगों की राय ले रहे हैं। क्या लोग सैन्य कार्रवाई चाहते हैं? क्या वे और सख्त नीतियों की मांग कर रहे हैं? यह सारी जानकारी सरकार तक पहुंचाई जा रही है।
यह मुलाकात क्यों असामान्य है?
आपको बता दें कि मोहन भागवत का किसी राजनीतिक नेता से इस तरह मिलना बहुत दुर्लभ है। RSS के सूत्रों के मुताबिक, 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद यह उनकी पहली ऐसी मुलाकात थी। आमतौर पर RSS और बीजेपी के बीच संवाद संगठन के दूसरे नेताओं या अनौपचारिक चैनलों के जरिए होता है। लेकिन इस बार खुद मोहन भागवत का पीएम आवास पर जाना इस बात का संकेत है कि मामला बहुत गंभीर है।
सरकार की रणनीति
दूसरी तरफ, सरकार भी बहुत सावधानी से कदम उठा रही है। पहलगाम हमला न सिर्फ़ राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि यह जनता की भावनाओं से भी जुड़ा है। सरकार जानती है कि अगर उसने सही समय पर सही कदम नहीं उठाया, तो जनता का गुस्सा और बढ़ सकता है। इसलिए, सरकार RSS के नेटवर्क का इस्तेमाल जनता की राय समझने और अपनी रणनीति बनाने में कर रही है।
एक RSS नेता ने कहा, “अगर जनता सख्त कार्रवाई के पक्ष में है, तो सरकार तेजी से और रणनीतिक रूप से उस दिशा में कदम उठा सकती है। जनता की राय बहुत मायने रखती है।” यह बयान साफ करता है कि सरकार और RSS दोनों मिलकर इस संकट से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या होगा आगे?
दोस्तों, यह मुलाकात सिर्फ़ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी। यह एक रणनीतिक कदम था, जिसका मकसद था देश के मौजूदा हालात को संभालना। RSS अपनी ताकत और प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है ताकि जनता का गुस्सा सही दिशा में जाए और सरकार को सही दिशा में कदम उठाने में मदद मिले। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार इस हमले का जवाब सैन्य कार्रवाई से देगी? या फिर वह कूटनीतिक रास्ता अपनाएगी?
इसके अलावा, यह मुलाकात यह भी दिखाती है कि RSS और बीजेपी के बीच का रिश्ता कितना गहरा और जटिल है। RSS न सिर्फ़ बीजेपी का वैचारिक आधार है, बल्कि वह एक ऐसी ताकत भी है, जो जरूरत पड़ने पर सरकार को दिशा दिखा सकती है।
आप क्या सोचते हैं?
तो दोस्तों, यह थी मोहन भागवत और पीएम मोदी की मुलाकात की पूरी कहानी। अब सवाल आपसे है—क्या आपको लगता है कि सरकार को इस हमले का जवाब सख्ती से देना चाहिए? या फिर हमें कूटनीति पर ध्यान देना चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं। और अगर आपको यह विश्लेषण पसंद आया, तो इसे शेयर करना न भूलें। अगली बार फिर मिलेंगे एक नई खबर के साथ। तब तक के लिए, जय हिंद!