BY- ISA AHMAD
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के केजीएच हिल्स में 4 मई को चल रहे एक उच्च जोखिम वाले नक्सल विरोधी अभियान के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के असिस्टेंट कमांडेंट सागर बोराडे ने अद्वितीय साहस और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया। इस अभियान का संचालन सीआरपीएफ की विशेष 204 कोबरा बटालियन द्वारा किया जा रहा था।
घटना उस समय घटी जब एक जवान आईईडी विस्फोट में घायल हो गया। स्थिति बेहद गंभीर थी और इलाके की भौगोलिक चुनौतियां भी सामने थीं — घने जंगल, ऊँचे-नीचे रास्ते और हर कदम पर बिछे संभावित विस्फोटक। ऐसे में असिस्टेंट कमांडेंट सागर बोराडे ने अपनी जान की परवाह किए बिना घायल जवान को निकालने के लिए मोर्चा संभाला।
अपने दल की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बोराडे उस घातक क्षेत्र में आगे बढ़े, लेकिन इसी दौरान वे स्वयं एक और आईईडी विस्फोट की चपेट में आ गए। इस हादसे में उनका बायां पैर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। तत्काल प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें रायपुर ले जाया गया, जहां से बाद में उन्हें वायु मार्ग से दिल्ली स्थानांतरित किया गया। दिल्ली में डॉक्टरों ने संक्रमण और अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए उनका बायां पैर चिकित्सकीय रूप से काटने का निर्णय लिया।
फिलहाल, असिस्टेंट कमांडेंट सागर बोराडे की स्थिति स्थिर है और वे चिकित्सकीय निगरानी में हैं। उनका अद्वितीय साहस, नेतृत्व और समर्पण भारतीय सुरक्षा बलों की अडिग भावना और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है।
इस बीच, केजीएच हिल्स में सुरक्षा बलों का तलाशी अभियान जारी है। यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, और यहां के घने जंगलों में कई वांछित नक्सली नेताओं के छिपे होने की आशंका है। अभियान में शामिल जवान अत्यंत सतर्कता के साथ क्षेत्र को खंगाल रहे हैं।
सागर बोराडे की बहादुरी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी, और उनका बलिदान यह दर्शाता है कि हमारे सुरक्षाबल राष्ट्र की सेवा में हर चुनौती का सामना करने को सदैव तत्पर रहते हैं।
रिपोर्टर: आज़ाद सक्सेना