BY: Yoganand Shrivastva
मुंबई: महाराष्ट्र कैडर की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरती सिंह ने मुंबई पुलिस में एक नया इतिहास रच दिया है। उन्हें हाल ही में जॉइंट कमिश्नर (इंटेलिजेंस) के पद पर नियुक्त किया गया है। यह पद पहली बार बनाया गया है और आरती सिंह इस जिम्मेदारी को संभालने वाली मुंबई पुलिस की पहली अधिकारी बन गई हैं।
यह पद भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव के बाद सुरक्षा दृष्टिकोण से बनाया गया है, ताकि खुफिया तंत्र को और अधिक मजबूत और कुशल बनाया जा सके।
कौन हैं आरती सिंह?
आरती सिंह एक अनुभवी और सशक्त आईपीएस अधिकारी हैं, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहद सराहनीय रहा है। उन्होंने अपने करियर में कई अहम पदों पर कार्य किया है। वे अमरावती शहर की पुलिस कमिश्नर, नासिक ग्रामीण की पुलिस अधीक्षक, डीजीपी ऑफिस में स्पेशल आईजी (एडमिन) और मुंबई में एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। इसके अलावा वे बदलापुर मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) की प्रमुख भी रह चुकी हैं।
नई भूमिका और जिम्मेदारियां
इस नई भूमिका में आरती सिंह की मुख्य जिम्मेदारी खुफिया सूचनाएं एकत्र करना, स्लीपर सेल्स की निगरानी करना, और शहर में संभावित आतंकी गतिविधियों पर नजर रखना होगी। अब स्पेशल ब्रांच सीधे पुलिस कमिश्नर को रिपोर्ट करेगी, जिससे संवेदनशील सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी।
मुंबई पुलिस में संरचनात्मक बदलाव
मुंबई पुलिस में अब तक कुल पांच जॉइंट कमिश्नर होते थे, जो कानून-व्यवस्था, अपराध, प्रशासन, यातायात और आर्थिक अपराध शाखा की देखरेख करते थे। खुफिया कार्यों के लिए जिम्मेदार स्पेशल ब्रांच अब तक एक एडिशनल कमिश्नर के अधीन थी, जो जॉइंट कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) को रिपोर्ट करता था। लेकिन अब इस ढांचे में बदलाव किया गया है और स्पेशल ब्रांच की कमान जॉइंट कमिश्नर (आईजी रैंक) को सौंप दी गई है।
खुफिया नेटवर्क होगा और मजबूत
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस बदलाव से खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया तेज़ होगी और संवेदनशील मामलों में तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी। स्पेशल ब्रांच न केवल आतंकी साजिशों की पहचान करती है, बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द, राजनीतिक हलचलों और विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर भी नजर रखती है।
नारी शक्ति का प्रतीक बनीं आरती सिंह
इस पद पर नियुक्त होकर आरती सिंह ने एक नई मिसाल कायम की है। यह न केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि भारतीय पुलिस सेवा में लैंगिक समानता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।