अप्रैल 2025 के अंत में एक ओर जहां भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को एक ‘शांति दूत’ के रूप में पेश किया। लेकिन ट्रंप के इस अचानक आए सीज़फायर बयान के पीछे एक दिलचस्प और जटिल कहानी छिपी है — एक हाई-प्रोफाइल क्रिप्टो डील, जिसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी शामिल थे। क्या यह केवल संयोग था या रणनीति?
क्या है वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF)?
- WLF एक अमेरिकी क्रिप्टो कंपनी है जिसकी स्थापना 2024 में हुई थी।
- कंपनी का 60% मालिकाना हक डोनाल्ड ट्रंप के बेटे एरिक ट्रंप, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर और दामाद जारेड कुशनर के पास है।
- इसे ज़ैकरी विटकॉफ ने शुरू किया, जो मशहूर रियल एस्टेट कारोबारी और ट्रंप के करीबी स्टीव विटकॉफ के बेटे हैं।
यह कंपनी अपने आपको एक ‘डिसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस’ इनोवेटर बताती है, लेकिन इसकी राजनीतिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि इसे एक आम फिनटेक कंपनी से अलग बनाती है।
26 अप्रैल: इस्लामाबाद में हुई विशेष बैठक
इस दिन पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय में एक बंद कमरे में बैठक हुई, जिसमें:
- WLF ने पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- इस डील का उद्देश्य पाकिस्तान में ब्लॉकचेन तकनीक को बढ़ावा देना, स्टेबलकॉइन को अपनाना, और टोकनाइज़्ड ट्रेडिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना बताया गया।
- खास बात यह थी कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर खुद इस बैठक में शामिल हुए — जो आमतौर पर व्यापारिक समझौतों में नहीं देखे जाते।
22 अप्रैल 2025: पहलगाम में आतंकी हमला और ट्रंप की एंट्री
4 दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक घायल हो गए। भारत ने सख्त सैन्य प्रतिक्रिया दी। इसी बीच ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर खुद को शांति दूत बताया।
ट्रंप ने क्या कहा?
- “भारत और पाकिस्तान की ताकत, बुद्धिमत्ता और साहस ने इस संकट को टाल दिया।”
- “चलो युद्ध की जगह व्यापार करें।”
- “हजारों सालों से ये देश लड़ते आए हैं, अब वक्त है शांति का।”
उनके इस बयान की टाइमिंग और कुछ दिन पहले हुई क्रिप्टो डील ने कई विशेषज्ञों का ध्यान खींचा।
क्या सच में जुड़ा है डील और सीज़फायर का कनेक्शन?
प्रमुख सवाल जो उठते हैं:
- क्या ट्रंप का शांति प्रस्ताव उनके परिवार की आर्थिक डील से प्रेरित था?
- क्या पाकिस्तान ने डील के बदले में ट्रंप को कूटनीतिक समर्थन मांगा?
- क्या भारत-पाक तनाव को शांत करने का प्रयास व्यापारिक लाभ के लिए किया गया?
Dawn अखबार की रिपोर्ट में इन सवालों को विशेष रूप से उठाया गया है।

PCC में Binance के संस्थापक CZ की एंट्री
इस डील से कुछ हफ्ते पहले, Binance के संस्थापक चांगपेंग झाओ (CZ) को PCC में रणनीतिक सलाहकार नियुक्त किया गया। हालांकि उनका रोल WLF डील से अलग था, लेकिन:
- उनका योगदान पाकिस्तान की क्रिप्टो नीति और ढांचे को विकसित करने में है।
- CZ हाल ही में अमेरिका में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सज़ा काट चुके हैं।
- उनके शामिल होने से इस पूरी क्रिप्टो गतिविधि पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी और बढ़ गई।
ट्रंप परिवार और व्हाइट हाउस की चुप्पी
अब तक:
- न तो ट्रंप परिवार ने WLF-PCC डील पर कोई टिप्पणी की है।
- न ही व्हाइट हाउस की तरफ से इस डील की राजनीतिक संभावनाओं पर कोई बयान आया है।
जबकि भारत-पाक सीमा पर हालात तनावपूर्ण हैं, यह डील और ट्रंप के बयान का मेल सिर्फ संयोग नहीं माना जा रहा।
निष्कर्ष: क्या व्यापार ने बदल दी कूटनीति की दिशा?
- ट्रंप परिवार की पाकिस्तान में व्यापारिक दिलचस्पी और उसी समय भारत-पाक संघर्ष पर उनकी कूटनीतिक बयानबाज़ी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
- यह मामला सिर्फ एक क्रिप्टो डील नहीं, बल्कि राजनीति, सैन्य और वैश्विक रणनीति से जुड़ा हुआ दिखाई देता है।
- आने वाले दिनों में यदि ट्रंप फिर से अमेरिकी राजनीति में सक्रिय होते हैं, तो यह डील और इससे जुड़े सवाल निश्चित रूप से चर्चा में रहेंगे।
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