भूमिका: सीजफायर का खेल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ, लेकिन इसके पीछे कूटनीति का एक दिलचस्प खेल छिपा है। चार देशों—अमेरिका, पाकिस्तान, भारत और चीन—ने अपने-अपने बयान जारी किए, लेकिन हर किसी का अपना नैरेटिव था। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन पाकिस्तान से नाराज है क्योंकि उसने पहले अमेरिका से मदद मांगी?
1. ट्रंप का “मैंने करवाया सीजफायर” दावा
डोनाल्ड ट्रंप, जो खुद को वैश्विक शांति दूत मानते हैं, ने सबसे पहले दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से भारत-पाकिस्तान ने सीजफायर स्वीकार किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा:
“अमेरिका की मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण सीजफायर स्वीकार किया। दोनों देशों ने समझदारी दिखाई।”
लेकिन भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सीजफायर का अनुरोध पाकिस्तान ने सीधे भारत से किया था, न कि अमेरिका के जरिए।
2. चीन का गुस्सा: “हमें क्यों नहीं बताया?”
पाकिस्तान को अपना “सबसे विश्वसनीय दोस्त” चीन मानता है, लेकिन इस बार उसने पहले अमेरिका से संपर्क किया। रक्षा सूत्रों के अनुसार, चीन इससे नाराज हो गया।
- चीन को लगा कि पाकिस्तान ने उसे अनदेखा किया।
- बीजिंग ने तुरंत इस्लामाबाद को फोन किया और अपनी “मध्यस्थता” का दावा किया।
- पाकिस्तान ने फिर चीन के समर्थन वाला एक नया बयान जारी किया।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के NSA अजीत डोभाल से बात की और खुद को सीजफायर का “मुख्य वार्ताकार” बताया।
3. पाकिस्तान का U-टर्न: सीजफायर तोड़ा, फिर माना
- 9 मई को पाकिस्तान ने सीजफायर स्वीकार किया।
- लेकिन कुछ घंटों बाद ही उसने ड्रोन हमले शुरू कर दिए।
- जैसे ही चीन ने समर्थन दिया, पाकिस्तान ने फिर से सीजफायर मान लिया।
इससे साफ होता है कि पाकिस्तान पर चीन का दबाव था।
4. भारत का स्टैंड: “हमारी शर्तें मानो”
भारत ने स्पष्ट किया कि:
- सीजफायर का अनुरोध पाकिस्तान ने किया था।
- भारत ने शर्त रखी कि आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस होगी।
- अमेरिका से बात हुई, लेकिन कोई ट्रेड डील नहीं (जैसा ट्रंप ने दावा किया)।
निष्कर्ष: किसकी जीत, किसकी हार?
- भारत ने अपनी सैन्य ताकत और कूटनीतिक समझदारी से पाकिस्तान को झुकाया।
- पाकिस्तान को चीन और अमेरिका के बीच फंसना पड़ा।
- चीन नाराज है क्योंकि पाकिस्तान ने पहले अमेरिका को प्राथमिकता दी।
यह घटना दिखाती है कि दक्षिण एशिया में अब अमेरिका और चीन दोनों की दिलचस्पी बढ़ रही है, लेकिन भारत अपनी सुरक्षा खुद तय करेगा।