‘आतंकियों ने पापा को बोलने तक नहीं दिया, गोली मारी’
BY: VIJAY NANDAN (Editor Swadesh Digital)
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को गमगीन कर दिया है। इस हमले में 26 मासूम लोगों की जान चली गई। इन शहीदों में गुजरात के सूरत निवासी शैलेश कलाथिया भी शामिल थे। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम को सबसे करीब से देखा उनके महज पांच साल के बेटे नक्ष कलाथिया ने। नन्हें बच्चे की जुबानी सुनाई गई ये भयावह कहानी दिल को झकझोर कर रख देती है।
“पापा सबसे आगे थे… उन्हें कब गोली लगी, मैं देख भी नहीं पाया”
नक्ष ने बताया कि वो अपने परिवार के साथ पहलगाम घूमने आए थे। उन्होंने इलाके के पांच प्रमुख पर्यटन स्थल देखे, जिनमें ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ सबसे ऊपर था। कुछ समय वहां बिताने के बाद वे पास ही एक जगह खाना खाने रुके। तभी गोलियों की आवाज गूंजने लगी। शुरुआत में किसी को समझ नहीं आया कि हो क्या रहा है, लेकिन कुछ ही देर में साफ हो गया कि यह आतंकी हमला है।
#WATCH | Surat, Gujarat | Shailesh Kalthia, a native of Varachha area of Surat city, was killed in the Pahalgam terror attack on 22nd April.
— ANI (@ANI) April 24, 2025
His son, Naksh Kalthia, says, "We were at the 'mini Switzerland' point in Pahalgam, J&K. We heard gunshots… We hid once we realised… pic.twitter.com/t0tKrc5dtI
“आतंकियों ने हिंदू और मुसलमानों को अलग किया”
नक्ष ने बताया कि उन्होंने दो आतंकवादियों को अपनी आंखों से देखा। उनमें से एक ने सभी लोगों से कहा कि मुसलमान एक तरफ हो जाएं और हिंदू दूसरी तरफ। फिर उन्होंने सभी हिंदू पुरुषों को गोली मार दी। बच्चों और महिलाओं को छोड़ दिया गया।

“आतंकी ने सिर पर कैमरा और हाथ में बंदूक ली थी”
नन्हें नक्ष के मुताबिक, एक आतंकी की दाढ़ी थी, उसने सफेद टीशर्ट और काली जीन्स पहनी हुई थी। उसने सिर पर एक कैमरा बांधा हुआ था, शायद वह पूरी वारदात को रिकॉर्ड कर रहा था। आतंकी बेहद निर्दयी थे – वे किसी को बोलने तक नहीं दे रहे थे। नक्ष का कहना है कि जैसे ही कोई कुछ बोलने की कोशिश करता, उसे गोली मार दी जाती।
“तीन बार कलमा पढ़ने के लिए कहा गया”
इस दर्दनाक मंजर को याद करते हुए नक्ष ने बताया कि आतंकियों ने सभी से तीन बार कलमा पढ़ने को कहा। जिन लोगों को यह नहीं आता था, उन्हें मार दिया गया। हम सब डर के मारे चुप थे। बाद में जब आतंकी वहां से भाग निकले, तो कुछ स्थानीय लोग आए और मदद की।

“घोड़े से नीचे उतरा, मां और बहन पहाड़ से उतरे”
बच्चे ने बताया कि जब उन्हें नीचे जाने को कहा गया, तो वह खुद घोड़े से उतर गया जबकि उसकी मां और बड़ी बहन पहाड़ से नीचे उतरीं। कुछ समय बाद आर्मी के जवान वहां पहुंचे और सभी बचे लोगों को सुरक्षित किया गया। नीचे एक आर्मी बेस पर उन्हें अस्थाई रूप से रखा गया, जिसके बाद वे होटल लौट गए।
“पुलिस मुख्यालय में ठहरे रहे, मां को कुछ नहीं कहा”
नक्ष ने बताया कि उसके पापा सबसे आगे थे, उसके बाद मां और फिर दीदी। उसे नहीं पता चला कि पापा को कब गोली लगी, लेकिन आतंकियों ने उन्हें कुछ कहने तक नहीं दिया। हालांकि उसकी मां और बहन को कुछ नहीं कहा गया, और महिलाओं को छोड़ दिया गया।
मासूम की आंखों से देखी गई वह दरिंदगी
पांच साल का मासूम नक्ष अपनी मासूम बातों में वो भयानक मंजर बयां कर गया, जिसने देश को झकझोर कर रख दिया। आतंक की ये कायराना हरकत एक बार फिर यह साबित करती है कि ऐसे नापाक मंसूबों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए – न कश्मीर में, न देश के किसी कोने में।
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