BY: Yoganand Shrivastva
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- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त हुए।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि वे रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी या संवैधानिक पद नहीं स्वीकार करेंगे।
- जस्टिस खन्ना ने संकेत दिया कि वे अब कानून के क्षेत्र में ही कुछ नया करेंगे, लेकिन क्या—इस पर अभी स्पष्टता नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना का विदाई बयान
अपने अंतिम कार्यदिवस पर सुप्रीम कोर्ट में मीडियाकर्मियों से मुलाकात के दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा:
“मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद स्वीकार नहीं करूंगा… लेकिन शायद कानून के क्षेत्र में कुछ करूंगा।”
इस बयान से यह साफ हो गया कि वे न तो किसी आयोग के अध्यक्ष बनेंगे, और न ही संवैधानिक पदों पर नजर है। हालांकि, विधि जगत में उनकी सक्रियता जारी रहेगी, यह तय है।
न्यायिक सोच पर उनके विचार
जब उनसे दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा के घर मिले कैश और कथित भ्रष्टाचार पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा:
“न्यायिक सोच निर्णायक और निर्णयात्मक होनी चाहिए। हम प्लस और माइनस देखते हैं, फिर तर्कसंगत निर्णय लेते हैं। भविष्य ही बताता है कि हमारा निर्णय कितना सही था।”
यह बयान भारतीय न्यायपालिका की पारदर्शिता और निष्पक्षता की ओर भी इशारा करता है।
कानूनी विरासत से जुड़े हैं जस्टिस खन्ना
- जन्म: 14 मई 1960
- पिता: देव राज खन्ना, दिल्ली हाई कोर्ट के जज
- माता: सरोज खन्ना, लेडी श्रीराम कॉलेज में लेक्चरर
- चाचा: जस्टिस एच.आर. खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज,
- जिन्होंने 1973 के केशवानंद भारती केस में मूल संरचना सिद्धांत प्रतिपादित किया
- 1976 के ADM जबलपुर केस में आपातकाल के दौरान असहमति वाला ऐतिहासिक फैसला दिया
- इस वजह से उन्हें CJI बनने से रोक दिया गया था
खन्ना परिवार की कानूनी विरासत
- दादा सरव दयाल भी एक प्रख्यात वकील थे
- उन्होंने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए बनी कांग्रेस समिति में काम किया था
- यह दिखाता है कि जस्टिस खन्ना का परिवार लंबे समय से न्यायिक और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में सक्रिय रहा है
कैरियर की झलक
- तीन दशकों से अधिक का न्यायिक अनुभव
- दिल्ली हाई कोर्ट में जज के तौर पर अहम भूमिकाएं निभाईं
- वकील के रूप में आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील भी रहे
- सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे