मध्य प्रदेश के जनजातीय कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया को ब्रीफिंग देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में एक सांप्रदायिक टिप्पणी की।
13 मई को मंझोली (महू) में एक कार्यक्रम के दौरान शाह ने कहा:
“मोदी जी ने उन्हीं (पाकिस्तान) के समाज की एक बहन को भेजा… अगर आपने हमारी बहनों को विधवा बनाया, तो आपकी बहन आकर आपका क्या हाल करेगी?”
उनका इशारा ऑपरेशन सिंदूर की तरफ था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की थी। लेकिन समस्या यह थी कि कर्नल सोफिया कुरैशी उस ऑपरेशन का हिस्सा नहीं थीं—वह सिर्फ मीडिया को जानकारी दे रही थीं।

क्यों गलत है यह बयान?
- सेना का अपमान:
- कर्नल सोफिया कुरैशी एक प्रतिष्ठित सेना अधिकारी हैं, जिनका परिवार भारतीय सेना से जुड़ा है।
- उन्हें “पाकिस्तानी समाज” से जोड़ना न सिर्फ गलत है, बल्कि सेना की एकता पर सवाल खड़ा करता है।
- महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा:
- “आपकी बहन आकर आपका क्या हाल करेगी” जैसी टिप्पणी महिलाओं को ऑब्जेक्टिफाई करती है।
- यह भाषा लैंगिक संवेदनशीलता के खिलाफ है।
- ऑपरेशन सिंदूर के साथ गलत जोड़:
- कर्नल कुरैशी ने ऑपरेशन में भाग नहीं लिया, बल्कि सिर्फ मीडिया को जानकारी दी।
- उन्हें इस तरह पेश करना गलत प्रचार है।
कांग्रेस ने मांगा इस्तीफा, मंत्री बोले—”गलत समझा गया”
- कांग्रेस ने इस बयान को सेना और महिलाओं का अपमान बताते हुए मंत्री के इस्तीफे की मांग की।
- कुंवर विजय शाह ने बाद में कहा कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है।
- उन्होंने कहा, “मेरा मतलब वह नहीं था। वह (कर्नल कुरैशी) मेरी बहन हैं और उन्होंने आतंकवादियों को सबक सिखाया।”
कुंवर विजय शाह: विवादों का पुराना रिकॉर्ड
- 2013 में उन्होंने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
- उन्हें मंत्री पद से हटाया गया, लेकिन बाद में फिर बहाल कर दिया गया।
- माना जाता है कि बीजेपी उन्हें आदिवासी वोट बैंक के डर से हटाना नहीं चाहती।
निष्कर्ष: राजनीति vs. सेना का सम्मान
यह मामला सिर्फ एक नेता के विवादित बयान तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि:
- क्या राजनेताओं को सेना के मामलों में सांप्रदायिक रंग चढ़ाना चाहिए?
- क्या महिला अधिकारियों को इस तरह की भाषा में टारगेट किया जाना चाहिए?
अगर हम सेना की एकता और महिलाओं के सम्मान को लेकर गंभीर हैं, तो ऐसे बयानों की सख्त निंदा होनी चाहिए।