BY: MOHIT JAIN
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर हुई बहस में भारत ने पाकिस्तान के खोखले दावों को बेनकाब किया। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान अपने ही नागरिकों पर बम गिराता है और मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान अतिशयोक्ति और झूठ फैलाकर दुनिया का ध्यान भटकाता है।
1971 का ऑपरेशन सर्चलाइट और महिलाओं के खिलाफ अपराध
हरीश ने 1971 में पाकिस्तान द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सर्चलाइट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उस समय पाकिस्तानी सेना ने 4 लाख महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और नरसंहार किया। भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अपने इतिहास और वर्तमान व्यवहार के आधार पर दूसरों को मानवाधिकार का पाठ नहीं पढ़ा सकता।
#IndiaAtUN
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) October 6, 2025
PR @AmbHarishP delivered India’s statement at the UNSC Open Debate on Women Peace and Security marking 25 years of Resolution 1325.
Quoting EAM @DrSJaishankar, he described women peacekeepers as “messengers of peace” and outlined India’s rich and pioneering… pic.twitter.com/SesXRFRJbU
अपने ही लोगों पर बमबारी
हरीश ने कहा, “एक देश जो अपने ही लोगों पर बम गिराता है और व्यवस्थित नरसंहार करता है, केवल दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए झूठ फैला सकता है।” यह बयान विशेष रूप से कश्मीर पर पाकिस्तान के दावों का जवाब था।
क्यों की गई यह टिप्पणी

भारत की प्रतिक्रिया पाकिस्तान की काउंसलर साइमा सलीम के बयान के बाद आई, जो महिला शांति और सुरक्षा पर UNSC की बहस में शामिल थीं। यह बहस UN प्रस्ताव 1325 के 25 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित हुई थी। यह प्रस्ताव महिलाओं और लड़कियों पर सशस्त्र संघर्ष के असमान प्रभाव और उनके अधिकारों की रक्षा पर केंद्रित है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने भी किया था तीखा प्रहार
इसके पहले सितंबर 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिना नाम लिए पाकिस्तान पर तीखा प्रहार किया था। उन्होंने कहा था कि भारत दशकों से वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में पाकिस्तान के योगदान का सामना कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का रुख स्पष्ट करता है कि पाकिस्तान के खोखले दावों और अतिशयोक्ति को दुनिया के सामने बेनकाब किया जा सकता है। भारत ने इतिहास और वर्तमान दोनों के आधार पर यह संदेश दिया कि अपने नागरिकों के खिलाफ हिंसा करने वाला देश दूसरों को नैतिक शिक्षा नहीं दे सकता।