BY: Yoganand Shrivastava
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच. डी. देवेगौड़ा की तबीयत अचानक खराब हो गई है। संक्रमण की शिकायत के बाद उन्हें बेंगलुरु स्थित मणिपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल प्रशासन ने उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर आधिकारिक बयान जारी करते हुए बताया कि “पूर्व प्रधानमंत्री को संक्रमण के कारण भर्ती किया गया है। फिलहाल उनका इलाज जारी है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी स्थिति की निगरानी कर रही है।”
एच. डी. देवेगौड़ा की राजनीतिक यात्रा और योगदान
हरदानहल्ली डोड्डेगौड़ा देवेगौड़ा, जिन्हें देशभर में एच. डी. देवेगौड़ा के नाम से जाना जाता है, का जन्म 18 मई 1933 को कर्नाटक के हरदानहल्ली गाँव में हुआ था। वे 1996 से 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले उन्होंने 1994 से 1996 तक कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी पहचान हमेशा एक सरल, ईमानदार और ग्रामीण भारत से गहराई से जुड़े नेता के रूप में रही है।
प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उस दौरान उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों में स्थिरता लाने और ग्रामीण विकास पर विशेष जोर देने की दिशा में कई कदम उठाए। उन्होंने 1996-97 का बजट पेश किया, जिसे ‘सपनों का बजट’ कहा गया। इस बजट में किसानों, मजदूरों और ग्रामीण इलाकों के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया गया था। देवेगौड़ा ने अपने कार्यकाल के दौरान संयुक्त मोर्चा सरकार का नेतृत्व किया, जिसे कांग्रेस पार्टी ने बाहर से समर्थन दिया था।
कर्नाटक की राजनीति में गहरी पकड़
राज्य स्तर पर, एच. डी. देवेगौड़ा ने कर्नाटक में सिंचाई परियोजनाओं, किसान कल्याण योजनाओं और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ऐसी नीतियाँ बनाईं जिन्होंने बेंगलुरु को भारत का आईटी हब बनने की दिशा में आगे बढ़ाया। उनका प्रशासन किसानों के हितों की रक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास पर केंद्रित रहा।
जनता दल (सेक्युलर) और परिवार की राजनीतिक विरासत
वर्तमान में एच. डी. देवेगौड़ा जनता दल (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और कर्नाटक की राजनीति में उनका परिवार एक मजबूत आधार रखता है। उनके बेटे एच. डी. कुमारस्वामी दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। देवेगौड़ा परिवार का राजनीति में प्रभाव अब भी कर्नाटक की राजनीति के प्रमुख स्तंभों में से एक है।
स्वास्थ्य स्थिति को लेकर समर्थकों में चिंता
92 वर्ष की आयु में, देवेगौड़ा की सेहत में गिरावट की खबर से उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में चिंता का माहौल है। उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज अच्छे से चल रहा है और स्थिति स्थिर बताई जा रही है। देशभर से नेताओं ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।
सादगी और समर्पण का प्रतीक
देवेगौड़ा को हमेशा उनकी सादगी, ईमानदारी और किसानों के प्रति अटूट निष्ठा के लिए जाना जाता है। उन्होंने कभी भी सत्ता को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया, बल्कि देश और जनता की सेवा को सर्वोपरि रखा। आज भी उन्हें भारत के उन नेताओं में गिना जाता है जिन्होंने राजनीति को नैतिकता और सेवा के रूप में जिया।