भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भीतर बड़े बदलाव की तैयारी जोरों पर है। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बार जो होने जा रहा है, वैसा पार्टी के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। सूत्रों की मानें तो तीन बड़े नेताओं के नाम पर मंथन हो रहा है और इनमें से एक चेहरा लगभग तय माना जा रहा है। खास बात यह है कि इस बदलाव का सीधा असर यूपी और बिहार जैसे अहम राज्यों की सियासत पर पड़ेगा।
बीजेपी अध्यक्ष पद की रेस में ये हैं तीन बड़े नाम
नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में गहन विचार-विमर्श चल रहा है। जिन तीन नेताओं के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं, वे हैं:
- भूपेंद्र यादव (केंद्रीय पर्यावरण मंत्री)
- शिवराज सिंह चौहान (पूर्व मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश व केंद्रीय कृषि मंत्री)
- धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा मंत्री, ओडिशा से सांसद)
भूपेंद्र यादव – सबसे मजबूत दावेदार
- राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र यादव को संगठन में मजबूत रणनीतिकार माना जाता है।
- बिहार, यूपी और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में उनके चुनावी अनुभव ने उन्हें पार्टी का भरोसेमंद चेहरा बनाया है।
- 2020 बिहार चुनाव में उनकी रणनीति ने बीजेपी को मजबूती दिलाई।
- उनकी आरएसएस से निकटता और अमित शाह से अच्छे संबंध भी उनके पक्ष में जाते हैं।
- हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान और यूपी में पार्टी के प्रदर्शन ने उनके लिए चुनौती जरूर खड़ी की है।
शिवराज सिंह चौहान – संघ की पसंद
- शिवराज सिंह चौहान को संघ का करीबी और पार्टी के पुराने भरोसेमंद चेहरों में गिना जाता है।
- मध्य भारत में उनकी लोकप्रियता और सामाजिक समीकरणों को साधने की क्षमता उन्हें मजबूत बनाती है।
- पहले भी उनके नाम पर अध्यक्ष पद की चर्चा हुई थी, लेकिन तब मोदी कैबिनेट में शामिल कर उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई थी।
- बिहार और यूपी में उनके सहज स्वीकार्य होने की वजह से वह विकल्प बने हुए हैं।
धर्मेंद्र प्रधान – पूर्वी भारत में बीजेपी का मजबूत चेहरा
- ओडिशा से सांसद और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पार्टी में संगठनात्मक अनुभव के लिए जाना जाता है।
- पूर्वी भारत में बीजेपी को खड़ा करने में उनकी अहम भूमिका रही है।
- यूपी-बिहार जैसे हिंदी पट्टी राज्यों में भी उनकी सक्रियता पार्टी नेतृत्व में उनके नाम पर गंभीरता बढ़ाती है।
- हालांकि, दक्षिण भारत से अध्यक्ष चयन की चर्चाओं के बीच उनका दावा थोड़ा कमजोर नजर आ रहा है।
यूपी-बिहार से क्या है नए अध्यक्ष का खास कनेक्शन?
नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव और 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए निर्णायक साबित होंगे। दोनों राज्यों में जातीय समीकरण और विपक्ष की रणनीति को देखते हुए पार्टी नेतृत्व में ऐसा चेहरा जरूरी है जो:
- सामाजिक संतुलन साध सके
- विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगा सके
- कार्यकर्ताओं को एकजुट कर चुनावी जमीन पर मजबूती दे
भूपेंद्र यादव का बिहार में प्रभारी रहते अनुभव और शिवराज सिंह चौहान की हिंदी पट्टी में पकड़ इस संदर्भ में अहम है।
कब होगा अध्यक्ष के नाम का ऐलान?
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई के दूसरे सप्ताह में विदेश यात्रा से लौटने के बाद इस पर अंतिम मुहर लग सकती है।
हालांकि, संघ और पार्टी में सहमति बनने में समय लगा तो घोषणा हिंदू नववर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल 2026 तक भी टल सकती है।
2029 लोकसभा चुनाव और डिलिमिटेशन पर होगी नई जिम्मेदारी
नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने सिर्फ राज्यों के चुनाव नहीं बल्कि:
- 2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारी
- देशभर में संसदीय क्षेत्रों के डिलिमिटेशन की चुनौती
- संगठन को नई दिशा देने की जिम्मेदारी होगी
ऐसे में भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान और धर्मेंद्र प्रधान में से किसी एक के नाम पर फैसला पार्टी के भविष्य के लिए अहम माना जा रहा है।
फिलहाल अंदरखाने की चर्चाओं में भूपेंद्र यादव का दावा सबसे मजबूत नजर आ रहा है।
निष्कर्ष
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चल रही रस्साकशी अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। नए अध्यक्ष के चयन से यूपी-बिहार से लेकर 2029 के लोकसभा चुनाव तक बीजेपी की रणनीति तय होगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी की कमान किसके हाथ में जाती है।