भारत संस्कृति के लिहाज से अन्य देशों से काफी धनी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ ऐसे राज्य छुपे हुए हैं जो हमारी संस्कृति को और खास बनाते हैं। उन्हीं में से एक ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर है। इस प्रदेश के पुरी में जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है जो पूरे विश्वभर में प्रख्यात है। तो आइए आपको इस यात्रा से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से बताते हैं। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा के दर्शन भर से व्यक्ति के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं।
जगन्नाथ यात्रा के बारे में रोचक तथ्य
- हर साल उड़ीसा के पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है जो देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर में विख्यात है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के रूप में श्रीकृष्ण, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम भव्य रथों पर सवार होकर भ्रमण करते हैं।
- जगन्नाथ रथ यात्रा एक, दो या तीन दिन नहीं बल्कि पूरे 10 दिन तक धूम धाम से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से होती है जबकि इसका समापन दशमी तिथि को होता है।
- जानकारी के लिए बता दें कि इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 से शुरू होने वाली है। जबकि इसकी समाप्ति 16 जुलाई 2024 को होगी। जगन्नाथ यात्रा में 3 रथ शामिल होते है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से लोग ओडिशा के पुरी पहुंचते हैं। अगर आप भी इस यात्रा में शरीक होना चाहते हैं तो आप भी जा सकते हैं।
- बता दें, तीनों देवी-देवता के लिए अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है। इन रथों को बनाने की शुरुआत अक्षय तृतीया से होती है। रथों के निर्माण के लिए दारु नामक नीम की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है, ये बेहद पवित्र और हल्की होती हैं।
- रथ में कील या कांटों का इस्तेमाल नहीं होता है, न ही कोई धातु का उपयोग किया जाता है। श्रीकृष्ण के रथ का रंग लाल और पीला होता है। इसकी ऊंचाई 13 मीटर होती है।
- वहीं सुभद्रा जी के रथ का रंग लाल और काला होता है। इसकी ऊंचाई 12.9 मीटर होती है। इस पर देवी दुर्गा का प्रतीक होता है। साथ ही बलराम जी का रथ हरे-लाल रंग का होता है। इसकी ऊंचाई 13.2 मीट होती है।
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