रिपोर्टर: हिमांशु पटेल
छत्तीसगढ़ को स्वच्छता और सुंदरता के मामले में देश की टॉप टेन सूची में शामिल कराने के लिए सरकार और नगरीय प्रशासन विभाग ने एक अहम पहल की है। इसी क्रम में प्रदेश के सभी नगर निगमों के महापौर और निगम आयुक्तों को शैक्षणिक भ्रमण के लिए मध्यप्रदेश के स्वच्छता मॉडल इंदौर भेजा गया। इस दौरे का उद्देश्य था—अपने-अपने शहरों में इंदौर जैसे बदलावों को लागू करना और शहरों को स्वच्छ, सुंदर और स्मार्ट बनाना।
इंदौर भ्रमण से क्या सीखा गया?
रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि इंदौर में कचरा प्रबंधन, जलभराव की रोकथाम, सार्वजनिक भागीदारी और नागरिकों की जागरूकता जैसे बिंदुओं पर गंभीरता से काम किया गया है। वहां की टीमवर्क और टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग सीखने योग्य है।
“इंदौर सिर्फ एक शहर नहीं, एक मॉडल है जिसे पूरे देश को अपनाना चाहिए।” – मीनल चौबे
रायपुर के लिए प्लान क्या है?
महापौर मीनल चौबे ने बताया कि इंदौर से लौटने के बाद अब रायपुर में निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
- डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण में सुधार
- गीले और सूखे कचरे का अलग-अलग प्रबंधन
- नालियों की समय-सीमा में सफाई और जलभराव से मुक्ति
- जनजागरूकता अभियान का विस्तार
- बायो-सीएनजी और कचरे से ऊर्जा उत्पादन की दिशा में पहल
- रायपुर को स्वच्छता रैंकिंग में टॉप 5 में लाना लक्ष्य
शहरों में किन बिंदुओं पर है कमी?
महापौर के अनुसार, रायपुर सहित अन्य शहरों में जनभागीदारी की कमी, संकलन व्यवस्था में लचीलापन, सफाईकर्मियों की संख्या में असमानता और तकनीकी संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं हैं, जिन पर अब रणनीतिक ढंग से काम किया जाएगा।
स्वच्छता रैंकिंग में सुधार की उम्मीद
छत्तीसगढ़ के महापौरों और निगम अधिकारियों को इंदौर जैसी योजनाएं अपनाने का जो अनुभव मिला है, उससे अब प्रदेश के कई शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद की जा रही है। नगर निगम रायपुर भी इसी दिशा में एक ठोस कार्ययोजना पर काम शुरू कर चुका है।