BY: Yoganand Shrivstva
ग्वालियर, ग्वालियर के तिघरा क्षेत्र स्थित प्रसिद्ध नलकेश्वर महादेव कुंड में बुधवार को एक युवक रहस्यमयी ढंग से लापता हो गया। वह अपने छह दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने पहुंचा था, लेकिन अचानक ही नहाते वक्त झरने से सीधे गहरे कुंड में छलांग लगा दी। कुछ ही सेकेंड तक पानी की सतह पर दिखने के बाद वह आंखों से ओझल हो गया और फिर वापस नहीं आया।
कौन है लापता युवक?
लापता युवक की पहचान धर्मेंद्र राणा (उम्र 25 वर्ष) के रूप में हुई है, जो मुरार ब्लॉक के बिलारा गांव का निवासी है। बताया गया कि बुधवार दोपहर मौसम अच्छा देख वह अपने दोस्तों संग तिघरा की पहाड़ियों पर स्थित नलकेश्वर झरने की ओर निकल पड़ा। पिकनिक के दौरान सभी दोस्त झरने के नीचे मस्ती में नहा रहे थे। उसी दौरान धर्मेंद्र ने अचानक ऊंचाई से कुंड में छलांग लगा दी।
झरना बना रहस्य की गहराई
कुंड की गहराई और उसके नीचे की रहस्यमय बनावट को शायद धर्मेंद्र ने समझा नहीं। पानी की सतह पर वह कुछ पल के लिए दिखाई दिया, लेकिन फिर जैसे किसी ने उसे खींच लिया हो – वह अचानक गुम हो गया। दोस्तों ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी।
NDRF की टीम ने संभाला मोर्चा
घटना की गंभीरता को देखते हुए तिघरा थाना पुलिस ने तुरंत राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) को मौके पर बुलाया। बुधवार शाम करीब 8 बजे तक तलाश की गई, लेकिन अंधेरा और तेज बहाव के कारण ऑपरेशन रोकना पड़ा। गुरुवार सुबह रेस्क्यू टीम फिर से कुंड में उतरी है और सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
कुंड की गहराई और चट्टानों से मुश्किल हुआ सर्च ऑपरेशन
रेस्क्यू टीम को आशंका है कि धर्मेंद्र कुंड में किसी चट्टान या गहरे पत्थर के नीचे फंस गया हो सकता है। पानी का बहाव तेज है और गहराई बहुत अधिक होने के कारण गोताखोरों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, गंदा और मैला पानी दृश्यता को सीमित कर रहा है।
अभी तक नहीं मिला कोई सुराग
तिघरा थाना प्रभारी के मुताबिक, सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। NDRF की टीम संभावित स्थानों पर खोजबीन कर रही है। धर्मेंद्र के परिजन भी घटनास्थल पर मौजूद हैं और आंखों में उम्मीद लिए हर आती-जाती लहर को निहार रहे हैं।
सावधानी बनाम लापरवाही
नलकेश्वर कुंड क्षेत्र पहले भी हादसों का गवाह रह चुका है, लेकिन युवाओं में रोमांच की चाह अकसर उन्हें खतरे में डाल देती है। यह घटना एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि प्रकृति के साथ लापरवाही भारी पड़ सकती है।