29 अक्टूबर को जब पूरा देश दिवाली मना रहा था धनतेरस के दिन खबर आई कि सलखन गांव में 13 हाथी बीमार होकर गिरे हैं। बीटीआर यानी कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन की ओर से बताया गया कि हाथियों की कुल संख्या 13 थी सलखन गांव में कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर जंगल के ही एक मैदान में 13 हाथी पड़े पड़े तड़प रहे थे। बांधवगढ़ प्रबंधन ने मौत का कारण कोद की फसल को खाना बताया गया और यह भी कि कोद में जहर था, कभी यह कि फंगस था, कभी ये कि गोदो में कोई जहरीला पदार्थ था।
बस यही वो बात थी जो हमें चौका गई और आखिर आदिवासी जनजातियों की सदियों पुरानी फसल कोदो कुटकी ही तो है तो फिर आखिर जो सदियों से कभी नहीं हुआ वो कैसे हो गया। हमने उसका स्टमक खोला तो स्टमक में कोदो प्लांट्स थे और सीड भी कुछ बाहर आ गए थे उसके बाद हमने जब ड्यूम खोला तो वहां पर एंट्राइटिस थी काफी अन क्लट बहुत ब्लड था पूरी इंटेस्टाइन में और उसको जब ध्यान से देखा तो उसमें को दो सीड्स भी थे और प्लांट्स के छोटे-छोटे पार्टिकल भी थे और पूरी बॉडी में उसके सबकटेनियस हेमोरेजेस बहुत ज्यादा थे। सबकट मतलब चमड़ी के नीचे खूनी धब्बे बहुत थे।
हमें बताया कि दरअसल यहां पर 10 हाथी नहीं बल्कि 13 हाथी आए थे 13 हाथी जब आए तो 13 में से 10 हाथियों की मौत हुई तीन अभी भी लापता हैं। पूरी पड़ताल जब की गई तो पता चला कि हाथियों ने उसके पहले पानी भी पिया था। हमारा शक इस बात को लेकर है कि इस पानी में जहर था क्योंकि इसके किनारे पर कई सारे स्केलेटन, कई सारे कंकाल, कई जली जीव जिसमें मछली और कछुए मरे हैं।
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