BY: VIJAY NANDAN (Editor Swadesh Digital)
5 अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने संविधान की धारा 370 को निष्प्रभावी किया, तब यह कदम जम्मू-कश्मीर की राजनीति, सामाजिक संरचना और जनता की मानसिकता में बदलाव लाने की दृष्टि से ऐतिहासिक माना गया। शुरू में इस पर काफी विरोध हुआ, लेकिन समय के साथ इसके दूरगामी प्रभाव सामने आने लगे। आज जब हम 2025 में खड़े हैं, तो साफ दिख रहा है कि घाटी में आम नागरिकों की सोच में एक बड़ा और निर्णायक बदलाव आ चुका है।
पहलगाम हमला: जनमानस के नए रुख की प्रतीक घटना
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले में जब निर्दोष पर्यटक मारे गए, तो पूरी घाटी शोक में डूब गई। इस बार फर्क यह था कि न तो हमले को लेकर चुप्पी थी और न ही कोई तटस्थता। स्थानीय लोगों ने न सिर्फ कैंडल मार्च निकाला, बल्कि शहीदों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना भी प्रकट की। यह वही घाटी है, जहां कुछ वर्षों पहले तक आतंकियों के मारे जाने पर भीड़ उग्र हो जाया करती थी।
लोकतंत्र मजबूत हुआ, राजनीतिक दलों का बदला रवैया
इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी एक अहम बदलाव देखा गया। महबूबा मुफ्ती, जो पहले कई बार सरकार के आतंक-रोधी अभियानों की आलोचना कर चुकी हैं, इस बार संवेदनशीलता दिखाते हुए खुद मार्च में शामिल हुईं और शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी तरह सज्जाद लोन की पार्टी और कई अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी खुलकर आतंकवाद की निंदा की और सुरक्षाबलों के साथ एकजुटता प्रकट की।
People held a massive protest march in Lal Chowk, Srinagar, led by PDP President @MehboobaMufti and MLA Pulwama @parawahid to condemn the killings of tourists in the Pahalgam attack. pic.twitter.com/lqnPCwmuuZ
— Javed Dar (@javeddar786) April 23, 2025
#WATCH | Srinagar, J&K | J&K People's Conference chief Sajad Lone carries out a protest march against the #PahalgamTerrorAttack. pic.twitter.com/mgGytU6mLG
— ANI (@ANI) April 23, 2025
आम नागरिकों की सोच में आ रहा बदलाव
धारा 370 हटने के बाद सरकार ने शिक्षा, रोजगार और आधारभूत ढांचे पर विशेष ध्यान दिया है। इसके परिणामस्वरूप कश्मीर का युवा अब नए अवसरों की ओर देख रहा है। जहां पहले बंद और पत्थरबाजी आम हुआ करती थी, वहां अब स्टार्टअप्स, स्किल डेवलपमेंट और खेल की बातें हो रही हैं। आतंकवाद से मोहभंग होता यह युवा वर्ग अब घाटी में स्थायी शांति का सबसे मजबूत आधार बन रहा है।
🇮🇳 "United in Grief" Hundreds March Through Srinagar After Pahalgam Terror Attack pic.twitter.com/aCrN8uLkh6
— RT_India (@RT_India_news) April 24, 2025
आतंक के खिलाफ सरकार की रणनीति और कड़े कदम
केंद्र सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड और उससे जुड़ी आतंकी गैंग के खिलाफ अब निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। एनआईए, रॉ और सेना की संयुक्त टीमें इन आतंकियों की धरपकड़ में जुट चुकी हैं। ड्रोन्स और टेक्नॉलजी की मदद से आतंकियों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
स्थानीय सहयोग से ऑपरेशनों को मिल रही ताकत
इस बार फर्क यह है कि स्थानीय लोगों का सहयोग भी अब सरकार और सुरक्षा बलों को मिलने लगा है। आतंकियों के ठिकानों की सूचना पहले से ज्यादा तेजी से मिल रही है। कई युवाओं ने खुद आतंकी संगठनों से नाता तोड़कर मुख्यधारा में लौटने का रास्ता चुना है।
आखिरी कील: आतंक के खिलाफ खड़ा होता समाज
यह कहना गलत नहीं होगा कि अब कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ समाज खड़ा हो गया है। आम लोग अब आतंकवादियों को अपना प्रतिनिधि नहीं, बल्कि शांति के दुश्मन मानने लगे हैं। यह बदलाव किसी नीति का नहीं, बल्कि आम जनमानस के अंतर्मन से उपजा निर्णय है।
एक नई सुबह की ओर बढ़ता कश्मीर
कश्मीर आज इतिहास के उस मोड़ पर है जहां वह अपने भविष्य की नई रूपरेखा खुद तय कर रहा है। अब कश्मीर केवल मुद्दा नहीं, बल्कि संभावनाओं की धरती बनता जा रहा है। आतंकवाद की कब्र तैयार है — और उसे दफनाने वाला है कश्मीर का जागरूक नागरिक।
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