BY: Yoganand Shrivastva
एक वक्त था जब अभिषेक बनर्जी सिर्फ पर्दे के पीछे रहते थे—कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर। लेकिन किस्मत ने करवट ली और आज वही शख्स वेब सीरीज़ और फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत रहा है। ‘पाताल लोक’ के हथौड़ा त्यागी और ‘स्त्री’ के जना जैसे किरदार निभाकर उन्होंने खुद को एक प्रभावशाली अभिनेता के रूप में साबित किया है।
एक्टिंग की चाहत ने दिलाई इंडस्ट्री में एंट्री
पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में 5 मई 1985 को जन्मे अभिषेक का फिल्मी सफर बहुत पहले शुरू हो चुका था। उनके पिता आलोक बनर्जी CISF में असिस्टेंट कमांडेंट थे। अभिषेक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स किया, लेकिन असल मकसद कॉलेज का थिएटर ग्रुप The Players जॉइन करना था। यहीं से उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया। करियर की शुरुआत दूरदर्शन के शो ‘स्कूल डेज़’ से हुई, लेकिन पहली फिल्मी झलक उन्हें 2006 में रंग दे बसंती में मिली, जिसमें उन्होंने एक छोटे से किरदार में नजर आए।
कठिन दौर और मुंबई का संघर्ष
दिल्ली में देव डी के लिए ऑडिशन देते वक्त उनकी मुलाकात मशहूर कास्टिंग डायरेक्टर गौतम किशनचंदानी से हुई। हालांकि ऑडिशन में चयन नहीं हो सका, लेकिन गौतम ने उन्हें मुंबई आने की सलाह दी। साल 2008 में अभिषेक मुंबई पहुंचे, लेकिन यहां भी उन्हें एक्टर के रूप में संघर्ष करना पड़ा। कई बार रिजेक्शन झेलने के बाद आर्थिक जरूरतों के चलते उन्होंने कास्टिंग असिस्टेंट की नौकरी कर ली।
पर्दे के पीछे की सफलता
जब अभिनय के मौके नहीं मिले, तो अभिषेक ने कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर खुद को स्थापित किया। उन्होंने ‘नो वन किल्ड जेसिका’, ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘गब्बर इज बैक’, ‘ओके जानू’, ‘रॉक ऑन 2’, ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’, ‘सीक्रेट सुपरस्टार’, और ‘अज्जी’ जैसी चर्चित फिल्मों के लिए कास्टिंग की। इसी दौरान उन्होंने कुछ फिल्मों में छोटे-छोटे रोल भी किए, जैसे ‘बॉम्बे टॉकीज’ और ‘फिल्लौरी’।
दोहरी पहचान: एक्टर और कास्टिंग डायरेक्टर
अभिषेक ने अनमोल आहूजा के साथ मिलकर ‘कास्टिंग बे’ नाम की एजेंसी शुरू की, जो आज इंडस्ट्री की अग्रणी कास्टिंग एजेंसियों में गिनी जाती है। लेकिन असली पहचान उन्हें पाताल लोक और स्त्री जैसी प्रोजेक्ट्स से मिली, जहां उन्होंने एक्टिंग की गहराई का परिचय दिया। अब वे एक ऐसे कलाकार हैं जिन्हें न सिर्फ स्क्रीन के पीछे की बारीकियों की समझ है, बल्कि कैमरे के सामने भी एक अलग ही प्रभाव छोड़ते हैं।
अभिषेक बनर्जी की कहानी उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो एक्टिंग में करियर बनाना चाहते हैं। उन्होंने दिखाया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो पीछे का रास्ता भी आपको मंज़िल तक पहुंचा सकता है—बस चलते रहना होता है।क्या आप अभिषेक बनर्जी की किसी खास फिल्म या रोल के फैन हैं?