बायसरन घाटी आतंकी हमला: कहां छिपे हैं हमलावर, सुरक्षाबलों को क्यों नहीं मिल रहे?

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"Pahalgam Terror: Where Are the Militants?"

BY: VIJAY NANDAN

दिल्ली : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बायसरन घाटी में एक भयावह आतंकी हमला हुआ। चार आतंकी वहां पहुंचे, सैलानियों की धार्मिक पहचान पूछी और अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इसके बाद आतंकी जंगलों की ओर फरार हो गए। बीते 13 दिनों में सुरक्षा बलों ने उन्हें पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं, लेकिन अभी तक वो पकड़ से बाहर हैं।

सवाल 1: चारों आतंकी हमले के बाद कहां गायब हो गए?

यह हमला पूरी तरह योजनाबद्ध था। आतंकियों को मालूम था कि बायसरन घाटी जैसे दुर्गम स्थान तक सुरक्षा बलों को पहुंचने में वक्त लगेगा। घाटी पहलगाम टाउन से 6-7 किलोमीटर दूर ऊंचाई पर स्थित है और वहां तक केवल पैदल या घोड़े के जरिए ही पहुंचा जा सकता है। जब तक सुरक्षा बल वहां पहुंचे, आतंकी जंगलों में घुस चुके थे।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन आतंकियों ने उन रास्तों का इस्तेमाल किया जो पहले से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के सुरक्षित मार्ग रहे हैं। ये रास्ते कोकरनाग के जंगलों से किश्तवाड़ तक जाते हैं, जहां घने जंगल और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था उन्हें छिपने में मदद करते हैं।

इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, ये आतंकी अभी भी दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में छिपे हैं और उनके पास इतने संसाधन हैं कि वे लंबे समय तक वहीं टिके रह सकते हैं।

सवाल 2: आतंकियों की तलाश में भारतीय सेना की क्या तैयारियां हैं?

इस ऑपरेशन में सेना, राष्ट्रीय रायफल्स, पैरा कमांडोज़, CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के हजारों जवान शामिल हैं। शुरू में तलाशी अभियान को पहलगाम से 10 किलोमीटर के दायरे में सीमित रखा गया था, लेकिन अब इसे पूरे दक्षिणी कश्मीर तक फैला दिया गया है।

सुरक्षा बल पहाड़ी, जंगली और रिहायशी इलाकों में दिन-रात तलाशी ले रहे हैं। 100 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी हो चुकी है और लगभग 10 आतंकियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया गया है।

साथ ही, आतंकियों को मदद पहुंचाने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) की भूमिका की भी जांच हो रही है। 1000 से अधिक OGW हिरासत में लिए गए हैं और 100 से ज्यादा से गहन पूछताछ हुई है। NIA की टीम ने 3000 से अधिक पूछताछें की हैं और 20 से ज्यादा OGW इस हमले में संदिग्ध पाए गए हैं।

सवाल 3: क्या अब तक आतंकियों का कोई ठोस सुराग मिला है?

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आतंकियों को हापतनार गांव के जंगलों में देखा गया था, लेकिन वो समय रहते भाग गए। फिर कुलगाम और त्राल के जंगलों में भी उनकी मौजूदगी के संकेत मिले। इंडिया टुडे की रिपोर्ट बताती है कि सुरक्षा एजेंसियां दो बार आतंकियों को घेरने के करीब पहुंचीं लेकिन वो फिर भी बच निकले।

तीन आतंकियों – आदिल हुसैन ठोकेर, हाशिम मूसा और अली भाई – की पहचान हो चुकी है और इन पर 20-20 लाख का इनाम रखा गया है। जांच एजेंसियों को हमले के वक्त अल्ट्रा स्टेट सिग्नल के संकेत भी मिले हैं, जो बिना सिम कार्ड के संचार के लिए इस्तेमाल होते हैं। साथ ही, एक चीनी सैटेलाइट फोन की मौजूदगी भी डिटेक्ट की गई है, जो अवैध रूप से भारत लाया गया था।

सवाल 4: आखिर इतनी देर क्यों लग रही है आतंकियों को पकड़ने में?

सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ के मुताबिक, सबसे बड़ी चुनौती पुख्ता खुफिया जानकारी की होती है। दूसरी बड़ी बाधा इलाके की भौगोलिक स्थिति है।

इस ऑपरेशन में देरी की तीन प्रमुख वजहें हैं:

  1. जंगलों और दुर्गम रास्तों का लाभ:
    बायसरन समेत दक्षिणी कश्मीर के जंगलों में विशालकाय पेड़ हैं और दृश्यता बेहद सीमित है। यहां ड्रोन भी सही से काम नहीं कर पाते। साथ ही, ऊंचे-नीचे रास्तों और बर्फ रहित पहाड़ियों के चलते आतंकियों के छिपने की जगहें बढ़ जाती हैं।
  2. लोकल सहयोग:
    कई स्थानीय लोग आतंकियों की सहायता कर सकते हैं। ऐसे लोग सुरक्षाबलों की गतिविधियों की जानकारी आतंकियों तक पहुंचा रहे होंगे। NIA इस एंगल से भी जांच कर रही है।
  3. प्रशिक्षित आतंकी:
    ये आतंकी जंगल में लंबे समय तक छिपे रहने और खुद को बचाए रखने में प्रशिक्षित हैं। उनके पास पर्याप्त राशन और सैटेलाइट संचार की सुविधा है। आमतौर पर आतंकी गांवों से खाना मंगवाते हैं जिससे उनका पता चलता है, लेकिन इस बार वे बेहद सतर्क हैं।

सैन्य अधिकारी के मुताबिक, “यह एक चूहे-बिल्ली का खेल है। कई बार आतंकी दिखे भी हैं, लेकिन जब तक घेराबंदी होती, वे निकल चुके होते हैं। हालांकि, यकीन है कि जल्द ही वे पकड़े जाएंगे।”

सवाल 5: क्या आतंकी देश छोड़कर भाग गए हैं?

3 मई को चेन्नई से कोलंबो गई फ्लाइट UL122 में एक संदिग्ध के होने की खबर पर फ्लाइट की पूरी जांच की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। कुछ रिपोर्ट्स में आशंका जताई गई थी कि उसमें पहलगाम हमला करने वाले आतंकी हो सकते हैं।

हालांकि, डिफेंस एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आतंकी अभी भी दक्षिण कश्मीर के जंगलों में ही मौजूद हैं और वहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वो ज्यादा दिन नहीं बच पाएंगे और जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।

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