BY: VIJAY NANDAN
जम्मू-कश्मीर: 22 अप्रैल को पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है। अब तक राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से कुल 2900 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इन सभी को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) और प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत जेल भेजा गया है। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अभी तक किसी भी व्यक्ति की औपचारिक गिरफ्तारी नहीं कर सकी है।
बैसरन और पहलगाम में गहन जांच
सूत्रों के अनुसार, एनआईए की पांच टीमें बैसरन और पहलगाम के इलाकों में लगातार जांच में लगी हुई हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस सप्ताह कुछ अहम सुराग हाथ लग सकते हैं। दरअसल, जांचकर्ताओं को 15 से 22 अप्रैल के बीच बैसरन घाटी और उसके आसपास एक्टिव मोबाइल फोनों का डेटा और अन्य डिजिटल जानकारियां मिलना शुरू हो गई हैं, जिससे मामले की जांच आगे बढ़ सकती है।

250 से ज्यादा लोगों से पूछताछ, एक जिपलाइन ऑपरेटर पर नजर
एनआईए ने अब तक इस मामले में करीब 250 लोगों से पूछताछ की है। इनमें से 7 लोगों को बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। खासतौर पर एक जिपलाइन ऑपरेटर मुजव्विल, जो हमले वाले दिन वहां मौजूद था और जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, अब भी जांच एजेंसियों की नजर में है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उससे एक बार पूछताछ कर छोड़ दिया था, लेकिन एनआईए ने अब तक उसे क्लीन चिट नहीं दी है, क्योंकि वह कई सवालों के संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया है।
जम्मू-कश्मीर हाई अलर्ट पर
हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। सेना, सीआरपीएफ, पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बल सभी संवेदनशील इलाकों में चौकसी बढ़ा चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि आतंकी संगठन किसी दूसरे हमले की साजिश भी रच सकते हैं, इसलिए सभी सुरक्षा बल अलर्ट मोड पर हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसी भी खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या होता है PSA और प्रिवेंटिव डिटेंशन?
पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) जम्मू-कश्मीर में 1978 में लागू हुआ था। यह एक ऐसा कानून है जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के हिरासत में लिया जा सकता है, अगर उसे राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा माना जाए।
वहीं, प्रिवेंटिव डिटेंशन का अर्थ है किसी अपराध की आशंका के आधार पर पहले से व्यक्ति को हिरासत में लेना, ताकि वह कोई गंभीर वारदात अंजाम न दे सके।