गुवाहाटी: एडवांटेज असम के दूसरे संस्करण का समापन शानदार ढंग से हुआ। इस बार सम्मेलन में 4.91 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जो 2018 में आयोजित पहले संस्करण की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे असम के आर्थिक इतिहास में “निर्णायक क्षण” करार दिया। उन्होंने अनुमान जताया कि 2030 तक राज्य की अर्थव्यवस्था 143 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी को दो दिवसीय निवेश और बुनियादी ढांचा सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने असम की वैश्विक उद्योगों के लिए एक प्रमुख निवेश केंद्र बनने की दिशा में की गई कोशिशों की सराहना की।
यह सम्मेलन उम्मीदों से कहीं आगे निकल गया और तेल, प्राकृतिक गैस व चाय जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से इतर विविध क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने में सफल रहा।
पहले संस्करण से तुलना
2018 के पहले संस्करण में 200 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनका मूल्य करीब 1 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, वास्तविक निवेश केवल 51,958.20 करोड़ रुपये ही हुआ, जो मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs) से आया। NRL, ONGC और OIL की सात परियोजनाएं, जिनका मूल्य 1,621.64 करोड़ रुपये था, और निजी क्षेत्र की EPL लिमिटेड की 39.85 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू हुई।
हालांकि, आलोचकों ने नौकरशाही अक्षमता, आयोजन के बाद सहायता की कमी और तैयारी में खामियों को निवेश के पूर्ण रूप से लागू न होने का कारण बताया।
उद्योगपति सरत कुमार जैन ने धीमी परियोजना मंजूरी और चाय, हस्तशिल्प व कृषि जैसे स्थानीय क्षेत्रों के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “नौकरशाही की अक्षमताएं और मंजूरी में देरी से संदेह पैदा हुआ। कई MoUs पर हस्ताक्षर तो हुए, लेकिन प्रभावी फॉलो-अप के अभाव में परियोजनाएं शुरू नहीं हो सकीं। नीतियां निवेश के लिए अनुकूल थीं, लेकिन उनका कार्यान्वयन अस्पष्ट और अप्रभावी रहा।”
FINER के पूर्व अध्यक्ष आरएस जोशी ने भी ऐसी ही राय रखी। उनका कहना था, “MoUs तो हुए, लेकिन कुछ को छोड़कर ज्यादातर निवेशक गंभीर नहीं थे। नियमित फॉलो-अप न होने से वास्तविक परियोजनाएं बहुत कम शुरू हुईं।”
बीते अनुभवों से सबक
पिछली कमियों को दोहराने से बचने के लिए असम सरकार ने एडवांटेज असम 2.0 के लिए सख्त जांच प्रक्रिया अपनाई। केवल उन निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जो अगले तीन-चार वर्षों में लागू होने की संभावना रखते हैं।
इस रणनीति का लक्ष्य नौकरशाही देरी और बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर कर व्यापार के लिए बेहतर माहौल तैयार करना है। सम्मेलन शुरू होने से पहले ही सरकार ने 45,000 करोड़ रुपये के MoUs को सख्त जांच के बाद खारिज कर दिया था। संदेश साफ था—असम व्यापार के लिए खुला है, लेकिन केवल गंभीर निवेशकों के लिए।
मुख्यमंत्री ने सतर्कता पर जोर देते हुए कहा, “हमने प्रस्तावों की पहले जांच की और अब भी करेंगे। हम केवल वास्तविक लोगों के साथ काम करेंगे।”
जगीरोड में टाटा की सेमीकंडक्टर इकाई और NRL की बायो-रिफाइनरी सुविधा का सफलतापूर्वक शुरू होना इस नए फोकस का प्रमाण है। नीति実行, बुनियादी ढांचे में सुधार और निवेशकों के साथ निरंतर संवाद पर सरकार का ध्यान इन प्रस्तावों को आर्थिक विकास में बदलने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
आगे की राह
असम ऐतिहासिक रूप से निर्भर अर्थव्यवस्था से राष्ट्रीय स्तर पर योगदानकर्ता के रूप में उभर रहा है। एडवांटेज असम 1.0 के सबक इस यात्रा में मार्गदर्शक बनेंगे। इस महत्वाकांक्षी सम्मेलन की असली सफलता MoUs को वास्तविक परियोजनाओं में बदलने की राज्य की क्षमता से तय होगी, जो एक परिवर्तनकारी आर्थिक भविष्य की नींव रखेगा।
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