BY: Yoganand Shrivastva
इंदौर। छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद अब इंदौर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट हो गया है। जिला कलेक्टर शिवम वर्मा ने मंगलवार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर कोई डॉक्टर प्रतिबंधित तत्वों वाले कफ सिरप को मरीजों को लिखते पाए गए, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सीधे जेल भेजा जाएगा।
कलेक्टर ने सीएमएचओ और फूड एंड ड्रग विभाग को आदेश दिए हैं कि शहर के सभी मेडिकल स्टोर, दवा बाजार और शिशु रोग विशेषज्ञ अस्पतालों की सख्त निगरानी करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिस जहरीले सिरप से छिंदवाड़ा में बच्चों की जान गई, वह इंदौर में सप्लाई नहीं हुआ था। फिर भी एहतियात के तौर पर पूरे जिले में जांच अभियान चलाया जा रहा है।
बिक्री करने वालों पर कड़ी निगरानी
कलेक्टर वर्मा ने बताया कि जिले के सभी ड्रग कंट्रोल अधिकारियों को फील्ड में रहकर निरीक्षण करने और प्रतिबंधित कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर सख्त नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई डॉक्टर इस सिरप को लिखते या कोई केमिस्ट इसे बेचते पाया गया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मंगलवार से शुरू हुआ चेकिंग अभियान
प्रशासन ने शहरभर में मेडिकल स्टोर और डिपो से विभिन्न कफ सिरप के नमूने एकत्र करने का अभियान शुरू कर दिया है। इन नमूनों को लैब में भेजा जाएगा और अगर किसी सिरप में हानिकारक तत्व पाए जाते हैं तो निर्माता, विक्रेता और संबंधित डॉक्टर — तीनों पर कार्रवाई होगी।
ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता ने बताया कि सोमवार को सात डिपो का निरीक्षण किया गया, लेकिन इंदौर में कोल्ड्रिफ सिरप की कोई सप्लाई नहीं मिली। वहीं सीएमएचओ डॉ. माधव हासानी ने कहा कि सभी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि डॉक्टर दवा लिखते समय नियमों का पालन करें और मरीजों को किसी विशेष दुकान से दवा खरीदने के लिए बाध्य न करें।
जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया (JSAI) ने इस बीच केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पूरे देश में कफ सिरप के निर्माण, बिक्री और विपणन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। संगठन ने हाल ही में राजस्थान (भरतपुर, सीकर) और मध्य प्रदेश (छिंदवाड़ा, बैतूल) में कथित रूप से दूषित सिरप से हुई बच्चों की मौतों पर चिंता जताई है।
JSAI ने सरकार से यह भी कहा है कि जिम्मेदार कंपनियों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, दवा नियामक प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए और सभी कफ सिरप को सरकारी खरीद सूची से हटाया जाए। संगठन ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी अपील की है कि असुरक्षित दवाओं से होने वाली मौतों को रोकने के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।