BY: Yoganand Shrivastava
भारत-पाक रिश्तों की तल्ख़ियों के बीच एक यूट्यूबर लड़की पर ISI के लिए जासूसी करने का आरोप और पुलिसिया कार्रवाई – यह पूरा मामला जितना संवेदनशील है, उतना ही कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ भी है।
ज्योति मल्होत्रा, जिन पर जासूसी का आरोप है, की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस और उनके वकीलों के बीच तर्कों की जंग जारी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस के पास इस हाई-प्रोफाइल केस में कोई ठोस सबूत हैं या फिर यह केवल एक कमजोर आधार पर की गई गिरफ्तारी है?
क्या है पूरा मामला?
हिसार पुलिस ने 16 मई को यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर जासूसी का केस दर्ज किया। अगले ही दिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दो बार रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई और तीन मोबाइल फोन और एक लैपटॉप पुलिस ने जब्त कर लिए। बावजूद इसके, अब तक पुलिस अदालत में कोई स्पष्ट सबूत पेश नहीं कर सकी है।
वकील का दावा: गिरफ्तारी गैरकानूनी
ज्योति की पैरवी कर रहे एडवोकेट कुमार मुकेश का कहना है कि ज्योति की गिरफ्तारी पूरी तरह असंवैधानिक है।
उनके मुताबिक –
“FIR ज्योति के अपने कथित बयान पर आधारित है, जो पुलिस कस्टडी में लिया गया था। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 20 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25-23A के तहत यह बयान कोर्ट में मान्य नहीं होता। इसका आधार बनाकर FIR दर्ज करना कानून के खिलाफ है।”
पुलिस की दलील: सबूत चार्जशीट में होंगे
जब कोर्ट में पुलिस से सबूतों के बारे में पूछा गया तो अधिकारियों ने कहा कि फोन और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच जारी है और सबूत जल्द चार्जशीट में प्रस्तुत किए जाएंगे। हालांकि, वकील के अनुसार अब तक कोई डिजिटल सबूत या विदेशी लिंक सामने नहीं आया है।
दानिश से मुलाकात और हरकीरत की भूमिका
इस केस में एक और नाम सामने आया है – दानिश, जो पहले दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन में तैनात था।
- वकील बताते हैं कि ज्योति को करतारपुर साहिब जाने के लिए धार्मिक वीज़ा की आवश्यकता थी।
- इस वीजा को प्राप्त करने के लिए उसने हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से संपर्क किया, जहां उसकी मुलाकात हरकीरत सिंह से हुई।
- हरकीरत ने ही उसे दानिश से संपर्क करने को कहा, क्योंकि पाकिस्तान से जुड़े वीज़ा मामलों को वही संभालता था।
पुलिस ने हरकीरत से पूछताछ की है और उसके दो मोबाइल भी जांच के लिए लिए गए हैं।
पारिवारिक बैकग्राउंड: पाकिस्तान कनेक्शन?
जब ज्योति के पाकिस्तान जाने की मंशा पर सवाल उठा, तो वकील ने बताया कि—
“ज्योति एक ट्रैवल व्लॉगर है और पाकिस्तान उसके लिए कोई पहली विदेश यात्रा नहीं थी। उसके दादा-दादी बंटवारे के समय पाकिस्तान से भारत आए थे। वह अपने पुश्तैनी घर को देखना चाहती थी, इसलिए धार्मिक वीजा के लिए प्रयासरत थी।”
जसबीर की गिरफ्तारी और ISI लिंक
इस केस से जुड़ा एक और नाम जसबीर सिंह भी है, जिसे 3 जून को पंजाब से गिरफ्तार किया गया। उसके वकील माधव शुक्ला का भी यही दावा है कि पुलिस ने उसके ISI से लिंक का कोई पुख्ता सबूत कोर्ट में नहीं दिया है। यह गिरफ्तारी भी ज्योति के साथ वायरल हुई एक तस्वीर के बाद शुरू हुई जांच का हिस्सा बनी।
क्या केस टिक पाएगा अदालत में?
ज्योति और जसबीर के खिलाफ अभी तक कोई ठोस डिजिटल या मटेरियल एविडेंस कोर्ट में नहीं रखा गया है। पुलिस की ओर से केवल इतना कहा गया है कि “जांच जारी है” और “चार्जशीट में सच्चाई सामने आएगी”। दूसरी ओर वकील इसे पूरी तरह मानवाधिकार उल्लंघन और कानून की अवहेलना मानते हैं।
🔍 निष्कर्ष: गिरफ्तारी या जल्दबाज़ी?
इस केस ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—
- क्या सिर्फ बयान के आधार पर किसी को जासूसी जैसे संगीन आरोपों में गिरफ्तार किया जा सकता है?
- क्या पुलिस डिजिटल सबूत जुटाने से पहले गिरफ्तारी कर बैठी?
- और सबसे अहम – क्या यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे का है या महज़ एक राजनीतिक शोर?
अब सबकी निगाहें पुलिस की आगामी चार्जशीट और कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।