प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कनाडा में आयोजित G-7 शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस सम्मेलन में वे न केवल विश्व मंच पर भारत का पक्ष रखेंगे, बल्कि अमेरिका, इटली और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों से द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे।
यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक राजनीति, व्यापार, और सुरक्षा के मुद्दे चरम पर हैं। ऐसे में मोदी का संबोधन पूरी दुनिया के लिए अहम माना जा रहा है।
PM मोदी की G-7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी
- स्थान: कनानास्किस, कनाडा
- उद्देश्य: G-7 सम्मेलन में भारत को Outreach Partner के रूप में आमंत्रण
- आयोजक: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी
शामिल प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष:
- अमेरिका: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
- इटली: पीएम जॉर्जिया मेलोनी
- ब्रिटेन: पीएम कीएर स्टारमर
- जर्मनी: चांसलर फ्रेडरिक मर्ज
- फ्रांस: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
- यूक्रेन: राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की
- मेक्सिको: राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम
मोदी की द्विपक्षीय बैठकें:
प्रधानमंत्री मोदी इस मौके पर कई नेताओं के साथ 1-1 बैठकें करेंगे, जिनमें शामिल हैं:
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप
- इटली की पीएम मेलोनी
- यूक्रेन और मेक्सिको के राष्ट्राध्यक्ष
- फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के प्रमुख
नोट: रिपोर्ट्स के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप सम्मेलन के बाद रात को वाशिंगटन रवाना हो सकते हैं।
कनाडा के पत्रकार की टिप्पणी: “खालिस्तान से निपटना जरूरी”
कनाडा के पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने पीएम मोदी की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“खालिस्तान से जुड़ी गतिविधियाँ न केवल सामाजिक ढांचे को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि व्यापारिक रिश्तों में भी बाधा बन रही हैं। अगर कनाडा अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत खिलाड़ी बनना चाहता है, तो उसे इस पर कड़ा एक्शन लेना होगा।”
उन्होंने कनाडा में खालिस्तानी ट्रकिंग नेटवर्क द्वारा ड्रग्स सप्लाई जैसे मुद्दों पर चिंता जताई और इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्तों के लिए खतरनाक बताया।
साइप्रस ने दिया भारत को सर्वोच्च सम्मान
प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस में देश के सर्वोच्च सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” से नवाज़ा गया।
- सम्मान किसने दिया: राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलिडेस
- मोदी की प्रतिक्रिया: “यह सम्मान भारत के 140 करोड़ नागरिकों का है।”
प्रधानमंत्री ने साइप्रस के साथ आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया।
तुर्किए को सीधा संदेश: अवैध कब्ज़े को स्वीकार नहीं
साइप्रस यात्रा के दौरान मोदी ने ग्रीन लाइन का दौरा किया — वो सीमा जो साइप्रस को उस हिस्से से अलग करती है जिस पर तुर्किए ने कब्ज़ा कर रखा है।
यह दौरा एक कूटनीतिक संदेश माना जा रहा है, खासकर उस तुर्किए को जो पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है।
युद्ध नहीं, शांति की पहल
मोदी ने ईरान और इज़राइल को बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा:
“युद्ध का असर सीमाओं से परे होता है। समाधान केवल संवाद से संभव है।”