माओवादियों को लगी बड़ी चुनौती
रिपोर्ट: अमरेश कुमार झा, कोंडागांव
कोंडागांव, 23 अप्रैल।
माओवाद प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने नारायणपुर जिले के दुर्गम नेलांगुर गांव में एक नया कैंप स्थापित कर अपनी रणनीतिक पकड़ को और मजबूत कर लिया है। इस नए कैंप के साथ अब जनवरी 2025 से अब तक अबूझमाड़ में आईटीबीपी द्वारा स्थापित कैंपों की संख्या बढ़कर पाँच हो चुकी है।
वर्षों से अबूझमाड़ को माओवादियों का अभेद्य गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में “माड़ बचाओ अभियान” के तहत चलाए जा रहे समन्वित सुरक्षा अभियानों ने इस मिथक को तोड़ना शुरू कर दिया है। नेलांगुर में 45वीं वाहिनी आईटीबीपी द्वारा स्थापित नया कैंप महाराष्ट्र की सीमा से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो यह दर्शाता है कि सुरक्षा बल अब अबूझमाड़ को दक्षिण दिशा से घेरने की रणनीति पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं।
आईटीबीपी, डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियानों के चलते माओवादी संगठन अब इस क्षेत्र में तेजी से कमजोर हो रहे हैं। कई माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं या फिर क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। नेलांगुर में कैंप की स्थापना से सुरक्षा बलों को अब ऑपरेशनों को और अधिक आक्रामक ढंग से संचालित करने में मदद मिलेगी।
इस कैंप के खुलने से केवल सुरक्षा के लिहाज से ही नहीं, बल्कि विकास के दृष्टिकोण से भी स्थानीय ग्रामीणों को लाभ मिलना शुरू हो गया है। ग्रामीण अब स्वास्थ्य सुविधाओं, पीने के पानी, सड़क और संचार जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से जुड़ रहे हैं। यह प्रयास अबूझमाड़ जैसे अत्यंत दुर्गम और पिछड़े क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की एक नई शुरुआत का संकेत है।
45वीं वाहिनी की इस उपलब्धि के पीछे सुरक्षा बलों के बीच बेहतरीन समन्वय और माओवादी चुनौती के प्रति उनकी अथक प्रतिबद्धता साफ झलकती है। इस ऐतिहासिक अवसर पर विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की टीमें भी मौजूद रहीं, जिन्होंने इस अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।