आज हम बात करेंगे एक ऐसी खबर की, जो आंध्र प्रदेश की सियासत और पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करती है। ये मामला है मुंबई की एक अभिनेत्री, कदंबरी जेठवानी के साथ हुए कथित उत्पीड़न और अवैध गिरफ्तारी का, जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व इंटेलिजेंस चीफ और वरिष्ठ IPS अधिकारी PSR अंजनेयुलु की गिरफ्तारी हुई है। तो चलिए, इस पूरे मामले को डिटेल में समझते हैं, जैसे मैं, आपका दोस्त ध्रुव राठी, आपको समझाता हूँ – आसान भाषा में, तथ्यों के साथ, और थोड़ा सा विश्लेषण भी।
क्या है पूरा मामला?
ये कहानी शुरू होती है 2 फरवरी 2024 से, जब मुंबई में रहने वाली अभिनेत्री कदंबरी जेठवानी और उनके परिवार को आंध्र प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी का आधार था एक शिकायत, जो KVR विद्यासागर नाम के एक फिल्म प्रोड्यूसर और YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के सदस्य ने दर्ज की थी। विद्यासागर ने कदंबरी और उनके परिवार पर धोखाधड़ी, जालसाजी और उगाही के गंभीर आरोप लगाए। उनका दावा था कि कदंबरी ने फर्जी दस्तावेज बनाकर उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की और उनसे पैसे वसूले।
इसके बाद क्या हुआ? आंध्र प्रदेश पुलिस ने कदंबरी और उनके परिवार को मुंबई से उठाया, विजयवाड़ा लाया, और उन्हें 40 दिन से ज्यादा समय तक जेल में रखा गया। बाद में उन्हें जमानत मिली, लेकिन इस पूरे मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं।
गिरफ्तारी में क्या गड़बड़ थी?
कदंबरी ने दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी थी। उनके वकील, एन श्रीनिवास, ने बताया कि पुलिस ने न तो कोई लिखित आदेश दिखाया, न ही कोई ठोस सबूत पेश किया। गिरफ्तारी के लिए मौखिक आदेश दिए गए थे, जो कि कानूनन गलत है। इतना ही नहीं, FIR दर्ज होने से पहले ही पुलिस ने कदंबरी के लिए ट्रैवल टिकट बुक कर लिए थे, यानी गिरफ्तारी की पूरी स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी।
कदंबरी ने ये भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जमानत के लिए आवेदन करने से रोका। उनके वकील ने दावा किया कि विद्यासागर ने ही फर्जी दस्तावेज बनाकर कदंबरी को फंसाने की साजिश रची थी। कदंबरी का कहना है कि ये सब पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार के इशारे पर हुआ, और इसमें बड़े पुलिस अधिकारियों ने सियासी दबाव में गलत काम किया।
कौन-कौन शामिल हैं इस मामले में?
अब बात करते हैं उन अधिकारियों की, जिन पर कार्रवाई हुई। इस मामले में कुल पांच पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाया गया:
- PSR अंजनेयुलु: ये आंध्र प्रदेश के पूर्व इंटेलिजेंस चीफ हैं और जगन मोहन रेड्डी के करीबी माने जाते थे। इन्हें 22 अप्रैल 2025 को हैदराबाद में उनके घर से गिरफ्तार किया गया।
- क्रांति राणा टाटा: ये उस समय विजयवाड़ा के पुलिस कमिश्नर थे।
- विशाल गुन्नी: ये विजयवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर थे।
- ACP हनुमंथराव और CI सत्यानारायण: ये दो अन्य अधिकारी हैं, जिन्हें सस्पेंड किया गया।
इन सभी अधिकारियों को सितंबर 2024 में सस्पेंड कर दिया गया था, क्योंकि DGP की एक रिपोर्ट में साफ हो गया था कि इन्होंने बिना सबूत और बिना लिखित आदेश के कदंबरी की गिरफ्तारी की। ये सस्पेंशन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के आदेश पर हुआ।
कदंबरी ने क्या किया?
कदंबरी ने हार नहीं मानी। अगस्त 2024 में, उन्होंने NTR जिला पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज की, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश पुलिस पर गैरकानूनी गिरफ्तारी और उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके मानवाधिकारों का हनन किया, उन्हें और उनके परिवार को “अपहरण” की तरह उठाया गया और जेल में डाल दिया गया।
इसके बाद, मार्च 2025 में, कदंबरी ने आंध्र प्रदेश के DGP से मुलाकात की और मांग की कि उनके खिलाफ दर्ज फर्जी केस को वापस लिया जाए। इस मुलाकात में उनके साथ राज्य की महिला संगठनों के नेता भी थे। कदंबरी का कहना है कि ये पूरा मामला सियासी बदले की भावना से प्रेरित था, और इसमें पुलिस ने पूरी तरह से गलत तरीके से काम किया।
अब सवाल ये है – ये सब क्यों हुआ?
अब अगर हम इस मामले को गहराई से देखें, तो कुछ बड़े सवाल उठते हैं। पहला, क्या ये गिरफ्तारी वाकई सियासी दबाव में हुई थी? कदंबरी का दावा है कि जगन मोहन रेड्डी की YSRCP सरकार ने उन्हें निशाना बनाया। दूसरा, अगर पुलिस ने इतने बड़े पैमाने पर गलतियां कीं, तो क्या ये सिर्फ कुछ अधिकारियों की गलती थी, या फिर पूरी सिस्टम की नाकामी थी?
ये मामला इसलिए भी अहम है, क्योंकि ये पुलिस की जवाबदेही और सियासी दखलंदाजी के मुद्दे को सामने लाता है। जब बड़े अधिकारी बिना सबूत और बिना लिखित आदेश के किसी को गिरफ्तार कर लेते हैं, तो ये आम लोगों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है? और अगर ये सब सियासी इशारे पर हुआ, तो ये लोकतंत्र के लिए और भी बड़ा खतरा है।
अब आगे क्या?
फिलहाल, PSR अंजनेयुलु को गिरफ्तार कर लिया गया है, और उन्हें आंध्र प्रदेश लाया जा रहा है। बाकी सस्पेंड किए गए अधिकारियों पर भी जांच चल रही है। कदंबरी का केस अभी खत्म नहीं हुआ है, और वो अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करवाने की कोशिश में हैं। दूसरी तरफ, ये मामला आंध्र प्रदेश की सियासत में भी हलचल मचा रहा है, क्योंकि इसमें पूर्व और वर्तमान सरकार के बीच का टकराव साफ दिखता है।