BY: Yoganand Shrivastva
गाजियाबाद: गाजियाबाद में पुलिस ने हाल ही में एक ऐसे चोर को गिरफ्तार किया है, जिसकी कहानी ने सबको चौंका दिया है। यह कोई आम चोर नहीं, बल्कि एक ऐसा इंसान है जो चोरी को सिर्फ जरूरतमंदों की मदद करने का जरिया मानता है। उसकी सोच और काम करने का तरीका इतना अनोखा था कि लोग उसे अब “विकास वाला चोर” कहने लगे हैं।
अमीरों से चोरी, गरीबों में बाँटता था मदद
पुलिस के मुताबिक, यह व्यक्ति केवल नेताओं, विधायकों, सांसदों और अन्य रसूखदार लोगों के घरों को निशाना बनाता था। लेकिन उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि वह चोरी से कमाया गया सारा पैसा समाज सेवा में खर्च करता था। उसने कई गरीब लड़कियों की शादी करवाई, गांवों में विकास कार्य करवाए और जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाई।
कौन है यह शख्स?
इसका असली नाम फिलहाल उजागर नहीं किया गया है, लेकिन इसकी उम्र करीब 35 साल बताई जा रही है। वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता है—मां सफाईकर्मी और पिता मजदूरी करते थे। बचपन में गरीबी की मार झेलने के बाद उसके भीतर एक पीड़ा घर कर गई थी, जिसने उसे इस अनोखे रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया।
राजनीति से नाराजगी, जनता से हमदर्दी
उसने कभी किसी आम आदमी को नुकसान नहीं पहुँचाया। उसका गुस्सा उन नेताओं पर था जो विकास के नाम पर वादे करते हैं लेकिन जनता की मेहनत की कमाई पर ऐश करते हैं। वह चोरी उसी समय करता जब घर खाली होते, ताकि किसी को चोट न पहुँचे।
चोरी की रकम से क्या करता था?
- गांवों में पानी की टंकियाँ बनवाता
- बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म और स्टेशनरी देता
- गरीब बेटियों की शादी कराता और जरूरत का सामान खुद देता
- बुजुर्गों के लिए दवाइयाँ, चप्पलें और कंबल देता
सब कुछ बिना किसी प्रचार या पहचान जाहिर किए। कई गांवों में तो आज भी लोग नहीं जानते कि वो मदद किसने की।
पुलिस की उलझन और समाज की प्रतिक्रिया
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने शुरुआत में उसे एक अपराधी की तरह पेश किया, लेकिन जब उसके कार्यों का सच सामने आया तो पुलिस खुद भी उलझन में पड़ गई कि इसे अपराधी कहें या समाजसेवी।
कानून कहता है कि चोरी अपराध है, और यह सच भी है। लेकिन यह मामला एक अहम सवाल उठाता है —
जब नेता जनता का पैसा डकारें तो वे सम्मानित कहलाते हैं, लेकिन जब कोई जरूरतमंदों के लिए चोरी करे तो वह अपराधी बन जाता है?
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