BY: Yoganand Shrivastva
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे चौंकाने वाले मामले में आरोपी को जमानत दे दी, जिसमें वह व्यक्ति लगभग 7 वर्षों से जेल में बंद था, जबकि जिस महिला की हत्या के आरोप में उसे पकड़ा गया था, वह बाद में जीवित मिल गई। आश्चर्यजनक रूप से, अब तक उस शव की पहचान ही नहीं हो सकी है जो 2018 में टुकड़ों में मिला था।
जज ने जताई चिंता, बोले – अंतरात्मा को झकझोर देने वाला मामला
21 अप्रैल को सुनवाई के दौरान जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि यह मामला बेहद असामान्य और गंभीर है। उन्होंने टिप्पणी की, “इस घटना की जांच ने इस अदालत की अंतरात्मा को हिला दिया है। अब तक मृतक की पहचान नहीं हो सकी है। जिस आरोपी को आखिरी बार मृत महिला के साथ देखा गया था, वह महिला (सोनी उर्फ छोटी) आज जीवित है।”
क्या है पूरा मामला?
यह मामला मई 2018 का है जब दिल्ली में एक अज्ञात महिला का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ था। पुलिस ने दावा किया कि यह शव सोनी उर्फ छोटी का है और हत्या के आरोप में मंजीत करकेट्टा नामक युवक को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद, सोनी को जीवित खोज लिया गया। इसके बावजूद मंजीत जेल में ही रहा, क्योंकि असली मृतक की पहचान अब तक नहीं हो पाई है।
जमानत की मांग और अदालत का रुख
मंजीत के वकील ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल को 2018 से जेल में रखे हुए है, जबकि अब तक यह ही स्पष्ट नहीं है कि मरा कौन। इसके अलावा, मोबाइल टावर से मिली जानकारी केवल यह दर्शाती है कि मंजीत उस इलाके में था, न कि अपराध स्थल पर मौजूद था।
सरकारी वकील ने विरोध जताते हुए कहा कि आरोपी को आखिरी बार मृत महिला के साथ देखा गया था, जो उसे मामले से जोड़ता है। हालांकि अदालत ने माना कि केवल इस आधार पर किसी को सालों तक जेल में नहीं रखा जा सकता कि शव की पहचान नहीं हो सकी है।
कोर्ट का निर्णय: “अब तक की स्थिति न्याय के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ”
जज ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 2018 में किसी व्यक्ति की बर्बर हत्या हुई, लेकिन सात साल बाद भी यह साफ नहीं है कि वह व्यक्ति कौन था। ऐसे में आरोपी को जेल में रखना उचित नहीं।” अदालत ने आरोपी को ₹10,000 के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत राशि पर तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।
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