BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल: बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई पर रोक लगाने के लिए भोपाल प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। जिले में शादी के आयोजनों के दौरान नाबालिग दूल्हा-दुल्हन की शादी रोकने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत सिर्फ माता-पिता ही नहीं, बल्कि शादी में सहयोग देने वाले मैरिज हॉल, पंडित, बैंड पार्टी, कैटरिंग सेवा, ट्रांसपोर्टर्स और कार्ड छापने वाले प्रेस भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे।
कलेक्टर ने जारी किए निर्देश
भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि बाल विवाह को रोकने के लिए जिले में “लाड़ो अभियान” की शुरुआत की गई है। इस अभियान का उद्देश्य अक्षय तृतीया से शुरू हो रहे वैवाहिक सीजन के दौरान किसी भी बाल विवाह को रोकना है। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल से विवाहों का मौसम शुरू हो रहा है और इसी समय कई सामूहिक विवाह भी आयोजित किए जाते हैं। ऐसे में प्रशासन सतर्कता बरतते हुए यह अभियान चला रहा है।
बाल विवाह पर सजा का प्रावधान
कलेक्टर ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9, 10, 11 और 13 के अंतर्गत बाल विवाह कराना या उसमें सहयोग देना एक दंडनीय अपराध है। दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल या एक लाख रुपए तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
सभी आयोजकों को देना होगा शपथ पत्र
सभी विवाह आयोजकों और सामूहिक विवाह के प्रबंधकों को एक शपथ पत्र देना होगा, जिसमें यह लिखा होगा कि उनके आयोजनों में कोई भी बाल विवाह नहीं होगा। यह शपथ पत्र कलेक्टर कार्यालय या महिला एवं बाल विकास विभाग में जमा कराना अनिवार्य होगा।
शादी कार्ड में उम्र लिखना अब ज़रूरी
प्रशासन ने प्रिंटिंग प्रेस और कार्ड डिज़ाइनरों को निर्देश दिया है कि वे विवाह पत्रिका (कार्ड) में वर-वधू की उम्र का स्पष्ट उल्लेख करें, ताकि शादी से पहले ही यह तय हो सके कि दूल्हा-दुल्हन बालिग हैं या नहीं।
सेवा प्रदाताओं को भी होगी जवाबदेही
बैंड वाले, हलवाई, कैटरर्स, पंडित, धर्मगुरु, समाज के वरिष्ठ लोग, ट्रांसपोर्ट सर्विस और मैरिज गार्डन चलाने वालों से कहा गया है कि वे वर-वधू के उम्र के प्रमाण-पत्र देखे बिना अपनी सेवाएं न दें। अन्यथा उन्हें भी बाल विवाह में सहयोगी मानते हुए कार्रवाई की जाएगी।
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