निफ्टी का निचले स्तर पर जाना निवेशकों में चिंता का बना सबब
मुम्बई: हाल के दिनों में मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी इंडेक्स में भारी गिरावट दर्ज की गई है, पिछले तीन से चार दिनों के भीतर इसमें कुछ ज्यादा ही गिरावट देखी जा रही है। आज ही निफ्टी 345 पाइंट गिरकर 2385 पर बंद हुआ, जिसने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। यह गिरावट विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारणों का परिणाम है। आइए, उन मुख्य 5 वजहों पर नजर डाल लेते हैं, जिनके चलते निफ्टी में ये गिरावट बनी हुई है।
निफ्टी में भारी गिरावट के ये मुख्य 5 कारण हैं
- वैश्विक बाजारों में अस्थिरता
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मंदी के संकेतों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक संकट के डर से निफ्टी पर दबाव देखा गया है। अमेरिका और यूरोप में बढ़ती ब्याज दरों और आर्थिक सुस्ती की आशंका के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं। इसके अलावा, चीन की धीमी आर्थिक वृद्धि ने भी वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा की है।
- डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट
भारतीय रुपये की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है। इससे आयात महंगा हो रहा है और विदेशी निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। रुपये में गिरावट का सीधा असर कंपनियों की आय और मुनाफे पर पड़ता है, खासकर उन कंपनियों पर जो आयात पर निर्भर हैं।
- घरेलू आर्थिक आंकड़ों में गिरावट
भारत के कुछ प्रमुख आर्थिक संकेतक, जैसे जीडीपी वृद्धि दर, औद्योगिक उत्पादन और खुदरा महंगाई दर, उम्मीद से कमतर रहे हैं। यह संकेत देता है कि देश की अर्थव्यवस्था में कुछ कमजोरियां बनी हुई हैं, जिसके चलते बाजार में नकारात्मकता फैल रही है।
- बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर पर दबाव
हाल ही में भारतीय बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) बढ़ने और कुछ बैंकों के खराब प्रदर्शन के कारण निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। इसके अलावा, ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ऋण की मांग में कमी आई है, जिससे इस क्षेत्र में दबाव बढ़ा है।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजारों में भारी बिकवाली की है। एफआईआई द्वारा पूंजी निकालने का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और विकसित बाजारों में बेहतर रिटर्न की संभावना है। उनकी बिकवाली का सीधा असर निफ्टी के प्रमुख स्टॉक्स पर हुआ है।
निफ्टी की गिरावट से निपटने के सुझाव
लंबी अवधि का दृष्टिकोण अपनाएं: निफ्टी में गिरावट अल्पकालिक हो सकती है। निवेशकों को घबराने की बजाय दीर्घकालिक रणनीति अपनानी चाहिए।
विविध पोर्टफोलियो बनाए रखें: जोखिम को कम करने के लिए पोर्टफोलियो में विविधता लाना आवश्यक है।
फंडामेंटल एनालिसिस करें: मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश करना सुरक्षित रहता है।
निफ्टी में गिरावट कई आंतरिक और बाहरी कारकों का नतीजा है, लेकिन यह बाजार के चक्र का हिस्सा है। निवेशकों को धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए, क्योंकि लंबी अवधि में भारतीय बाजार की संभावनाएं सकारात्मक बनी हुई हैं।
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