पवित्र माह सावन लग चुका है। आज यानी 23 जुलाई को सावन के दूसरे दिन पहला मंगला गौरी व्रत रखा जा रहा है। सावन में जहां सोमवार को भगवान शिव की पूजा होती है, तो मंगलवार के दिन भी महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शिव और पार्वती की उपासना करती हैं। वही कुंवारी लड़कियां भी अच्छे पति की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।
मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त
बात करें इस बार मंगला गौरी व्रत के शुभ मुर्हूर्त की तो इस दिन द्विपुष्कर योग का सहयोग बना रहा है जिस कारण से यह दिन और खास हो जा रहा है। द्विपुष्कर योग 5 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ हो चुका है जो कि 10 बनकर 23 मिनट तक चलेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर 12.55 तक रहेगा। इन दोनों के साथ विजय योग का संयोग बन रहा है जिसका दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से दोपहर 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि
- सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर नए वस्त्र धारण करें।
- मंगला गौरी अर्थात शिव पार्वती की एक फोटो या मूर्ति लें।
- पूजा के लिए 16 सामग्री जैसे सुपारी, लौंग, इलायची और पान आदि रख लें।
- व्रत का संकल्प लेकर पूजा पाठ करें।
- इस व्रत में दिन में एक ही बार भोजन करना होता है रात में आप पूरे विधि विधान से व्रत का पारण करें और प्रसाद ग्रहण करें।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
पुराणों में मंगला गौरी को माता पार्वती का रूप ही बताया गया है। मंगला गौरी के दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है।शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती है, तो वही कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए इस दिन उपवास रखती हैं।