भिंड, मध्य प्रदेश में एक 17 साल के नाबालिग द्वारा 8 साल की बच्ची के साथ कथित बलात्कार का मामला सामने आया है। घटना तब हुई जब बच्ची घर पर अकेली थी और उसके चीखने की आवाज़ सुनकर लोगों ने आरोपी को पकड़ लिया। पुलिस ने POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज करके आरोपी को बाल सुधार गृह भेज दिया। लेकिन यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक सिस्टमिक फेलियर की ओर इशारा करती है।
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मुख्य समस्याएं: क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध
- मध्य प्रदेश में 2024 में 7,294 रेप केस दर्ज हुए—यानी रोज़ाना औसतन 20 मामले।
- आधिकारिक आंकड़ों में हेराफेरी का आरोप: 2023 में 5,374 केस बताए गए, लेकिन पुलिस डेटा 7,202 केस दिखाता है।
- SC/ST और आदिवासी समुदाय की महिलाएं सबसे ज्यादा शिकार हो रही हैं।
- नाबालिग अपराधियों को मिल रही ‘सजा से बचने’ की छूट?
- आरोपी 17 साल का होने के कारण उसे जेल नहीं, सुधार गृह भेजा गया।
- सवाल: क्या नाबालिगों द्वारा की गई बर्बरता के लिए सुधार गृह काफी है?
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी पहले से ही अजीब हरकतें करता था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
- बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं
- पीड़िता घर पर अकेली थी—क्या पैरेंट्स को अवेयरनेस प्रोग्राम्स की जरूरत नहीं?
- POCSO एक्ट सख्त है, लेकिन केस लंबे खिंचते हैं, और पीड़िताओं को इंसाफ नहीं मिल पाता।
बड़ा सवाल: क्या करना चाहिए?
- पुलिस और सिस्टम को मजबूत करना: हाई-रिस्क एरिया में पुलिस की निगरानी बढ़ानी होगी।
- किशोर न्याय कानून में सुधार: क्या नाबालिग, लेकिन जघन्य अपराध करने वालों को वयस्कों जैसी सजा मिलनी चाहिए?
- समाज की जिम्मेदारी: पड़ोस में किसी के असामान्य व्यवहार पर ध्यान देना और रिपोर्ट करना जरूरी है।
निष्कर्ष: सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा
यह मामला कोई पहला या आखिरी नहीं है। NCRB 2023 के मुताबिक, भारत में हर 16 मिनट में एक बच्चा यौन हिंसा का शिकार होता है। अगर हमने सिस्टम, सोच और सजा की प्रक्रिया को नहीं बदला, तो ऐसी घटनाएं थमने वाली नहीं हैं।