मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज कल सड़कें न केवल गड्ढों से भरी पड़ी हैं, बल्कि वे जानलेवा जाल बन चुकी हैं। कल (भोपाल-इंदौर बाईपास (बिलखिरिया/सूखी सेवनिया) पर हुई भयावह घटना इसका सबसे ताजा उदाहरण है, जहां 305 करोड़ रुपये की लागत से बनी मुख्य सड़क का लगभग 100 मीटर लंबा हिस्सा धंसकर 20 से 30 फीट गहरा खतरनाक गड्ढा बन गया। सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन यह चमत्कार नहीं, बल्कि संयोग मात्र था। इसी तरह, जुलाई 2025 में एमपी नगर की व्यस्ततम मुख्य सड़क पर 6 से 10 फीट गहरा गड्ढा बनने की घटना ने भी शहर को हिलाकर रख दिया था। ये दोनों घटनाएं राजधानी के प्रमुख मार्गों पर महज कुछ महीनों के अंतराल पर हुई हैं, और ये सड़कें मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) या राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दायरे में आती हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई? क्या यह भ्रष्टाचार नहीं?

मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार से सीधा सवाल पूछता हुए कहा क्या आपकी सरकार सड़कों को बनाने के नाम पर जनता की जान जोखिम में डाल रही है? 12 वर्ष पुरानी इस सड़क पर 650 करोड़ रुपये टोल वसूले जा चुके हैं, लेकिन मरम्मत के नाम पर एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ। सड़क के नीचे पानी भरने की समस्या वर्षों से ज्ञात थी—ग्रामीणों ने असंख्य शिकायतें कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। 2013 में बनी सड़क का मेंटेनेंस अनुबंध 2020 में रद्द हो गया, उसके बाद भी निगरानी का नामोनिशान नहीं। एमपीआरडीसी सालाना मरम्मत का दावा करती है, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं। यह सब कुछ “50% कमीशन वाली सरकार” की नाकामी और भ्रष्ट सिस्टम का प्रतीक है!
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह का हालिया बयान “जब तक सड़कें हैं, गड्ढे रहेंगे” किसी मंत्री का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की हार का ऐलान है। क्या यही है आपकी ‘विकसित मध्य प्रदेश’ की परिभाषा? जब सड़कें ही धंस रही हैं, तो विकास का दावा कैसे करें? भोपाल में पिछले आठ महीनों में सड़क हादसों में 162 लोग मारे गए और 1473 घायल हुए। मिसरोद थाना इलाके में ही 114 हादसों में 21 मौतें हुईं। पुलिस ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीटीआरआई) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में 13,798 और 2024 में 14,791 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई—यह संख्या 2025 में सितंबर तक और बढ़ चुकी है। खराब सड़कें, गड्ढे और घटिया निर्माण इन मौतों का प्रमुख कारण हैं। भाजपा सरकार की लापरवाही ने मध्य प्रदेश को देश का दूसरा सबसे असुरक्षित राज्य बना दिया है, जहां हर साल सड़क हादसों में मौतें बढ़ रही हैं।
कांग्रेस पार्टी इन घटनाओं को हल्के में नहीं लेगी। हम मांग करते हैं
एमपी नगर (जुलाई 2025) और बिलखिरिया (अक्टूबर 2025) की दोनों घटनाओं की उच्च-स्तरीय न्यायिक या सीबीआई जांच
गुणवत्ता, भ्रष्टाचार और जिम्मेदारी तय करने के लिए तत्काल जांच समिति गठित हो, जिसमें स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल हों।
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह का इस्तीफा: उनकी लापरवाही और असंवेदनशील बयानों के लिए जवाबदेही तय हो।
तत्काल मरम्मत : प्रभावित सड़कों की मरम्मत 15 दिनों में पूरी की जाए।
राज्यव्यापी सड़क सुरक्षा अभियान: गड्ढा-मुक्त सड़कों के लिए विशेष फंड और पारदर्शी निगरानी सुनिश्चित हो।
कांग्रेस पार्टी इस मांग को लेकर सरकार पर
भाजपा सरकार अगर नहीं चेती, तो कांग्रेस जनता के साथ सड़कों पर उतरेगी!जनता जागे, तो सरकार सुनेगी।
जय हिंद! जय मध्य प्रदेश!