BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली/इस्लामाबाद | पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शुक्रवार को एक भीषण आत्मघाती हमले में सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। उत्तर वजीरिस्तान जिले में विस्फोटकों से लदी एक कार ने सेना के काफिले को टक्कर मार दी, जिससे 13 सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 10 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हमले में 19 आम नागरिक भी घायल हुए हैं, जिनमें 6 मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
कैसे हुआ हमला?
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरे वाहन के जरिए सेना के काफिले को निशाना बनाया। जैसे ही गाड़ी टकराई, भीषण धमाका हुआ। इस धमाके से आसपास के दो घरों की छतें भी ढह गईं, जिससे कुछ बच्चों को गंभीर चोटें आई हैं।
किसी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी
हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने अब तक नहीं ली है, लेकिन उत्तर वजीरिस्तान लंबे समय से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की सक्रियता का केंद्र रहा है। यह इलाका सीमावर्ती होने के कारण पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच लगातार टकराव का गवाह रहा है।
आतंकी हमलों में लगातार इज़ाफा
पाकिस्तान में हाल के वर्षों में आतंकी गतिविधियां तेज़ी से बढ़ी हैं, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में।
- दिसंबर 2024: अफगान सीमा के पास हुए हमले में 16 पाकिस्तानी जवान मारे गए थे।
- जनवरी 2025: बलूच लिबरेशन आर्मी ने केच क्षेत्र में 35 हमले कर 94 सैनिकों को मारने का दावा किया था।
- जून 2025: ग्वादर में बलूच आतंकियों ने हमला कर 16 सैनिकों की जान ली।
खुफिया विफलता या आतंकी नेटवर्क की गहराई?
आतंकी हमले पाकिस्तान के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती बनते जा रहे हैं। बार-बार होने वाले आत्मघाती हमलों से साफ है कि आतंकियों के नेटवर्क अब भी सक्रिय और संगठित हैं। साथ ही, खुफिया एजेंसियों की विफलता और सीमावर्ती इलाकों में कमजोर निगरानी भी चिंता का विषय है।
इस हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। बार-बार होने वाले इन हमलों से जहां आम नागरिकों में डर का माहौल है, वहीं सेना को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। आने वाले समय में देखना होगा कि पाकिस्तान TTP और अन्य आतंकी संगठनों से निपटने के लिए कौन-सी रणनीति अपनाता है। फिलहाल, पूरा उत्तर वजीरिस्तान क्षेत्र हाई अलर्ट पर है।