BY: Yoganand Shrivastva
किंगदाओ (चीन): शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) समिट के दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डॉन जून के बीच अहम बातचीत हुई। इस मुलाकात में भारत ने चीन के समक्ष सीमा विवाद को सुलझाने और भविष्य में गलवान घाटी जैसे टकराव से बचने के लिए एक चार सूत्रीय समाधान योजना प्रस्तुत की।
क्या है भारत का समाधान फॉर्मूला?
राजनाथ सिंह ने चीनी समकक्ष के साथ बातचीत में स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार और स्थायी शांति के लिए निम्नलिखित चार कदम जरूरी हैं:
- डिसइंगेजमेंट का पूर्ण पालन:
2024 में दोनों देशों के बीच जो डिसइंगेजमेंट समझौता हुआ था, उसका पूरी तरह क्रियान्वयन किया जाए। - तनाव में कमी लाना:
सीमा क्षेत्रों में सैन्य तनाव और तैनाती को नियंत्रित करने की दिशा में सक्रिय प्रयास हों। - सीमांकन और परिसीमन:
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के सीमांकन और परिसीमन को स्पष्ट करने के लिए आपसी सहमति और बातचीत तेज की जाए। - विशेष प्रतिनिधि स्तर पर संवाद:
विशेष प्रतिनिधियों के बीच संवाद और रणनीतिक संवाद तंत्र को सक्रिय कर मतभेदों को सुलझाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए।
2024 डिसइंगेजमेंट प्लान क्या है?
भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। इसके बाद 2024 में दोनों देशों ने LAC के पास सैनिकों की तैनाती कम करने और एक नई पेट्रोलिंग व्यवस्था लागू करने पर सहमति जताई थी। इसी समझौते को “2024 का डिसइंगेजमेंट प्लान” कहा जाता है। इसका उद्देश्य सीमा पर पारस्परिक विश्वास को बहाल करना था।
पाकिस्तान और आतंकवाद पर भी जताई चिंता
राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री को कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले की जानकारी दी, जिसमें निर्दोष नागरिक मारे गए। इसके साथ ही भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाने के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
75 साल की कूटनीतिक यात्रा का सम्मान
भारत-चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजनाथ सिंह ने दोनों देशों के बीच सहयोग और आपसी समझ को और मज़बूत करने की अपील की। उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा को पांच साल बाद फिर से शुरू किए जाने की सराहना करते हुए इसे संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया।
रक्षा मंत्रालय का रुख साफ: “भरोसे की कमी जमीनी स्तर पर ही दूर होगी”
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों को सीमा प्रबंधन से जुड़े मौजूदा तंत्रों को सक्रिय बनाए रखना चाहिए। 2020 के बाद जो भरोसे की कमी आई है, उसे जमीनी कदमों के जरिए ही दूर किया जा सकता है।