रविवार सुबह अमेरिका ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों—फोर्दो, इस्फहान और नतांज—पर सैन्य हमले किए।
इसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करना बताया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि ईरान ने जवाबी हमला किया, तो अमेरिका और भी कड़ी कार्रवाई करेगा।
पाकिस्तान ने की कड़ी आलोचना
पाकिस्तान ने इस सैन्य कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ करार दिया। विदेश मंत्रालय (Foreign Office) की ओर से जारी बयान में कहा गया:
“हम ईरान के न्यूक्लियर प्रतिष्ठानों पर अमेरिका के हमलों की कड़ी निंदा करते हैं। क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर हमारी गहरी चिंता है।”
अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार
- पाकिस्तान ने कहा कि अमेरिका की यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन है।
- बयान में यह भी जोड़ा गया कि ईरान को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है, जो उसे यूएन चार्टर के तहत प्राप्त है।
- पाकिस्तान ने क्षेत्र में हिंसा और तनाव के और बढ़ने की आशंका जताई है, जो मध्य एशिया और अन्य क्षेत्रों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
ट्रंप को शांति पुरस्कार की सिफारिश और विरोधाभास
दिलचस्प बात यह है कि इस हमले से एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की घोषणा की थी।
- पाकिस्तान ने कहा था कि भारत-पाक संघर्ष के दौरान ट्रंप के कूटनीतिक प्रयासों के लिए उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।
- अब यह सिफारिश उनके हमले के निर्णय के बाद विरोधाभासी मानी जा रही है।
प्रमुख पाकिस्तानी दलों की चुप्पी
अब तक पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ जैसे:
- पाकिस्तान मुस्लिम लीग
- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी
इनमें से किसी ने इस हमले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण शायद पाकिस्तान की सेना और अमेरिकी नेतृत्व के बीच चल रहे राजनयिक समीकरण हो सकते हैं।
ईरान पर अमेरिका का यह हमला वैश्विक राजनीति में नई अस्थिरता और जोखिम को जन्म दे सकता है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इस ओर इशारा करती है कि इस प्रकार की सैन्य कार्रवाइयों से मध्य पूर्व में अशांति और हिंसा की संभावना बढ़ रही है।