BY: Yoganand shrivastva
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की ने याचिका दायर कर अपनी जबरन कराई गई शादी को रद्द करने की मांग की है। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत सुनवाई की तारीख तय कर दी है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ आज सुनवाई करेगी।
क्या है मामला?
इस याचिका में लड़की ने आरोप लगाया है कि 9 दिसंबर 2024 को उसकी मर्जी के खिलाफ उसका विवाह एक 32 वर्षीय व्यक्ति से करा दिया गया, जबकि उस समय वह केवल 16 साल की थी। याचिका में बताया गया कि शादी के बाद उसे पढ़ाई से वंचित कर दिया गया और ससुराल में बंदी जैसा जीवन जीने को मजबूर किया गया।
शिक्षा छोड़ शादी का दबाव
लड़की का कहना है कि वह पढ़-लिखकर शिक्षिका या वकील बनना चाहती थी, लेकिन उसके पति और ससुराल वालों ने उसे यह कहकर दबाव डाला कि उसके माता-पिता उनसे कर्जदार हैं और अब उसे एक “पत्नी” और “मां” की भूमिका निभानी होगी। उसका आरोप है कि ससुराल पक्ष उस पर बच्चा पैदा करने का दबाव बना रहा था।
फिलहाल दोस्त के साथ सुरक्षित स्थान पर
याचिका में यह भी उल्लेख है कि लड़की अब अपने एक करीबी मित्र के साथ सुरक्षित स्थान पर रह रही है। उसे डर है कि अगर वह बिहार लौटती है, तो उसकी और उसके दोस्त की जान को खतरा हो सकता है।
बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग
लड़की ने अपनी शादी को अवैध करार देने के साथ-साथ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत अपने पति और ससुराल वालों पर कानूनी कार्यवाही की मांग की है। साथ ही उसने यह भी निवेदन किया है कि सुप्रीम कोर्ट उसे और उसके मित्र को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दे।