BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर : ग्वालियर में रामकृष्ण मिशन संस्था के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद को मनी लॉन्ड्रिंग केस का झांसा देकर 26 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और उनसे ₹2.52 करोड़ की ठगी कर ली गई। इस हाई-प्रोफाइल साइबर क्राइम केस की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
SIT द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि इस रकम को देश के 8 अलग-अलग राज्यों में फैले बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया। ठगी की इस रकम का एक हिस्सा उज्जैन की बंधन बैंक में जमा हुआ था, जहां से ₹10 लाख की राशि ट्रांसफर की गई।
बंधन बैंक उज्जैन के मैनेजर व कैशियर समेत 6 गिरफ्तार
SIT ने कार्रवाई करते हुए उज्जैन, नागदा और रतलाम से बंधन बैंक के सहायक मैनेजर, महिला कैशियर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी को कोर्ट में पेश कर 5 दिन की रिमांड पर लिया गया है। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि तीन महीनों में करीब ₹3 करोड़ की राशि इन बैंक कर्मचारियों और एजेंट्स द्वारा ठगों तक पहुंचाई गई।
फर्जी खातों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग, गरीबों के खाते बने माध्यम
जांच में यह भी पता चला है कि ठगी की रकम को गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों के खातों में भेजा जाता था। इसके लिए ठगों के एजेंट ₹5,000 की रिश्वत लेकर फर्जी बैंक खाते खुलवाते थे। रतलाम और नागदा की बंधन बैंक शाखाएं अब SIT के शक के घेरे में हैं।
इन खातों के ज़रिए ठगी की बड़ी राशि को अलग-अलग माध्यमों से ठगों तक पहुंचाया गया। साथ ही आरोप है कि बैंक कर्मी पुलिस कार्रवाई की सूचना भी गिरोह तक पहुंचाते थे, जिससे उनका नेटवर्क लंबे समय तक सक्रिय रह सका।
मास्टरमाइंड ‘उदय राज’ पर निगाहें, USDT में होता है ट्रांजैक्शन
SIT की पूछताछ में गिरोह के मास्टरमाइंड ‘उदय राज’ का नाम सामने आया है, जो ठगी की रकम को डॉलर (USD) और क्रिप्टोकरेंसी USDT के माध्यम से विदेशों में ट्रांसफर करता है। उदय राज तक पुलिस की पहुंच बननी अब इस मामले की सबसे अहम कड़ी बन गई है, और यदि उसकी गिरफ्तारी होती है तो देशभर के साइबर क्राइम नेटवर्क का बड़ा भंडाफोड़ हो सकता है।
इस समय SIT की दो टीमें इलाहाबाद में डेरा डाले हुए हैं, जहां इंडसइंड बैंक के उस खाते की जांच हो रही है जिसमें ठगी की सबसे बड़ी राशि ₹1.30 करोड़ ट्रांसफर की गई थी।
50 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स जांच के दायरे में
अब तक की जांच में 50 से अधिक बैंक खाते जांच के घेरे में आ चुके हैं, जो इस साइबर ठगी के तारों से जुड़े हुए हैं। SIT का मानना है कि यह नेटवर्क देशव्यापी स्तर पर फैला हुआ है, जिसमें बैंक कर्मियों, एजेंट्स और तकनीकी एक्सपर्ट्स की मिलीभगत है।
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