रिपोर्टर: सत्यनारायण बैरागी, अपडेटः योगानंद श्रीवास्तव
मंदसौर: मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर क्षेत्र का चतुभुज नाला एक ऐसा स्थान है, जो विश्व की सबसे लंबी रॉक पेंटिंग (शैल चित्र) के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान न केवल पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आदिमानव सभ्यता के जीवन और संस्कृति की झलक भी दिखाता है।
यहाँ की चट्टानों पर बनी 8 किलोमीटर लंबी चित्र श्रृंखला को दुनिया की सबसे बड़ी रॉक पेंटिंग कहा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये शैल चित्र लगभग 20,000 से 30,000 वर्ष पुराने हैं।
ASI द्वारा संरक्षण, दूर-दराज से लोग आते हैं देखने
इस ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा और देखरेख की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने उठाई है। यहां स्थायी चौकीदार तैनात किए गए हैं जो इस विरासत की निगरानी करते हैं और इसे संरक्षित रखते हैं।
यह स्थान न केवल इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश-विदेश से सैलानी भी खींचे चले आते हैं।

आदिमानव काल की झलक, और डाक टिकटों में पहचान
इन रॉक पेंटिंग्स में आदिमानवों की दैनिक जीवनशैली, शिकार, नृत्य और पशुपालन जैसे दृश्य अंकित हैं। इन चित्रों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए भारतीय डाक विभाग ने इन पर डाक टिकट भी जारी किए हैं, जो इस विरासत को वैश्विक पहचान दिलाते हैं।
प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का संगम
नदी किनारे बसे इस स्थान की हर चट्टान इतिहास की कहानी कहती है। यह जगह आज भी हमारे पूर्वजों की रचनात्मकता, जीवनशैली और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध की याद दिलाती है। चतुभुज नाला न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव की धरोहर है।
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