आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान के हालिया ब्राजील दौरे की, जहाँ उन्होंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, “हमें तकनीक सीखने की जरूरत है, हम उसे सीखेंगे, और जो हम दुनिया को दे सकते हैं, वो हम देंगे।” लेकिन इस बयान का मतलब क्या है? इसका भारत के लिए क्या महत्व है? और इसे हम कैसे देख सकते हैं? आइए, इसे डिटेल में समझते हैं, बिल्कुल आसान भाषा में, जैसे मैं आपसे कॉफी पीते हुए बात कर रहा हूँ।
क्या है पूरा मामला?
शिवराज सिंह चौहान इन दिनों ब्राजील में हैं, और वहाँ उन्होंने एक कार्यक्रम में ये बात कही। ये खबर 21 अप्रैल 2025 को बंसल न्यूज़ ने प्रकाशित की थी। उनके इस बयान में दो मुख्य बातें हैं:
- तकनीक सीखने की जरूरत: भारत को आधुनिक तकनीकों को अपनाने और सीखने की आवश्यकता है।
- दुनिया को कुछ देना: भारत के पास ऐसी चीजें हैं—चाहे वो संस्कृति हो, ज्ञान हो, या कोई और योगदान—जो हम वैश्विक स्तर पर साझा कर सकते हैं।
अब सवाल ये है कि शिवराज जी ने ये बात क्यों कही? और इसका भारत के लिए क्या मतलब है? इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा और संदर्भ को देखना होगा।
ब्राजील और भारत: क्या है कनेक्शन?
ब्राजील और भारत, दोनों ही उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हैं और दोनों देश G20 और BRICS जैसे संगठनों में साथ काम करते हैं। ब्राजील कृषि, जैव-ऊर्जा, और पर्यावरण संरक्षण में काफी उन्नत है। वहीं, भारत टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर, और स्टार्टअप्स के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में, शिवराज जी का ये बयान एक तरह से भारत और ब्राजील के बीच सहयोग की संभावनाओं को दर्शाता है।
उन्होंने जो तकनीक की बात की, वो हो सकता है कि ब्राजील की बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी, सतत विकास, या फिर कृषि में इस्तेमाल होने वाली आधुनिक तकनीकों से प्रेरित हो। भारत में भी हम बायोफ्यूल और हरित ऊर्जा पर काम कर रहे हैं, लेकिन ब्राजील इस मामले में हमसे काफी आगे है। उदाहरण के लिए, ब्राजील में गन्ने से बनने वाला इथेनॉल बड़े पैमाने पर पेट्रोल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होता है। भारत भी इस दिशा में कदम उठा रहा है, और शायद शिवराज जी का इशारा इसी तरह के सहयोग की ओर हो।
तकनीक सीखने का मतलब
अब आते हैं उनके बयान के पहले हिस्से पर—तकनीक सीखने की जरूरत। दोस्तों, अगर हम ग्लोबल लेवल पर देखें, तो टेक्नोलॉजी आज हर देश की प्रगति की रीढ़ है। चाहे वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, मशीन लर्निंग हो, 5G हो, या फिर ग्रीन एनर्जी—जो देश इन क्षेत्रों में आगे हैं, वो दुनिया की दिशा तय कर रहे हैं। भारत ने पिछले कुछ सालों में डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसे कदमों से अपनी स्थिति मजबूत की है। लेकिन फिर भी, हमें कई क्षेत्रों में और मेहनत करने की जरूरत है।
शिवराज जी का ये कहना कि “हमें तकनीक सीखनी होगी” एक तरह से भारत की उस महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जो हमें ग्लोबल लीडर बनाना चाहती है। उदाहरण के लिए:
- कृषि तकनीक: भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन हमारी खेती अभी भी काफी हद तक पारंपरिक तरीकों पर निर्भर है। ब्राजील जैसे देशों से हम ड्रोन फार्मिंग, स्मार्ट इरिगेशन, और प्रिसिजन एग्रीकल्चर जैसी तकनीकें सीख सकते हैं।
- हरित ऊर्जा: भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य रखा है। ब्राजील की बायोफ्यूल और हाइड्रोपावर तकनीकें हमें इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकती हैं।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत का UPI सिस्टम दुनिया में मिसाल है, लेकिन हमें साइबर सिक्योरिटी और डेटा प्राइवेसी जैसे क्षेत्रों में और काम करना होगा।

दुनिया को क्या दे सकता है भारत?
अब बात करते हैं उनके बयान के दूसरे हिस्से की—जो हम दुनिया को दे सकते हैं, वो हम देंगे। भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है, और ये सिर्फ तकनीक तक सीमित नहीं है। आइए कुछ उदाहरण देखते हैं:
- संस्कृति और आध्यात्म: योग, आयुर्वेद, और ध्यान जैसी चीजें आज दुनियाभर में लोकप्रिय हैं। भारत की ये सॉफ्ट पावर हमें ग्लोबल स्टेज पर अलग पहचान देती है।
- आईटी और स्टार्टअप्स: भारत की आईटी कंपनियाँ और स्टार्टअप्स, जैसे कि Zomato, Byju’s, और Paytm, आज ग्लोबल मार्केट में छाए हुए हैं। हमारा टैलेंट और इनोवेशन दुनिया के लिए मिसाल है।
- विविधता और सहिष्णुता: भारत की एकता में विविधता की नीति दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकती है, खासकर उन देशों के लिए जो धार्मिक या सांस्कृतिक टकरावों से जूझ रहे हैं।
शिवराज जी का ये कहना कि हम दुनिया को कुछ दे सकते हैं, एक तरह से भारत के आत्मविश्वास को दर्शाता है। हम अब सिर्फ सीखने वाले नहीं हैं, बल्कि देने वाले भी हैं। ये एक बहुत बड़ा माइंडसेट शिफ्ट है, जो भारत को एक ग्लोबल लीडर के तौर पर स्थापित करने की दिशा में एक कदम है।
इस बयान का भारत के लिए क्या मतलब है?
दोस्तों, अगर हम इस बयान को गहराई से देखें, तो ये सिर्फ एक नेता का बयान नहीं है, बल्कि भारत की विदेश नीति और विकास की रणनीति का एक हिस्सा है। भारत आज एक ऐसा देश है, जो ना सिर्फ अपनी समस्याओं को हल करना चाहता है, बल्कि दुनिया की समस्याओं का समाधान भी देना चाहता है। चाहे वो क्लाइमेट चेंज हो, गरीबी हो, या फिर तकनीकी असमानता—भारत इन सभी मोर्चों पर सक्रिय है।
शिवराज जी का ये बयान हमें ये भी याद दिलाता है कि हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। हमारी संस्कृति, हमारा ज्ञान, और हमारी परंपराएँ हमें वो ताकत देती हैं, जिससे हम दुनिया को कुछ अनोखा दे सकते हैं। साथ ही, हमें खुले दिमाग से नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहना होगा।
क्या हैं कुछ सवाल?
लेकिन दोस्तों, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इस बयान को सुनकर कुछ सवाल भी उठते हैं:
- कौन सी तकनीक?: शिवराज जी ने स्पष्ट नहीं किया कि वो कौन सी तकनीकों की बात कर रहे हैं। क्या ये बायोफ्यूल है, AI है, या कुछ और?
- कैसे लागू होगा?: तकनीक सीखना एक बात है, लेकिन उसे भारत जैसे विशाल और विविध देश में लागू करना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए क्या रणनीति होगी?
- दुनिया को क्या देंगे?: भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन क्या हम इसे सही तरीके से दुनिया तक पहुँचा पा रहे हैं? हमारी सॉफ्ट पावर को और कैसे बढ़ाया जा सकता है?
अंत में
तो दोस्तों, शिवराज सिंह चौहान का ये बयान ना सिर्फ भारत की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कुल हमें ये सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने देश को कहाँ देखना चाहते हैं। ये एक कॉल टू एक्शन है—सीखने का, बढ़ने का, और दुनिया को कुछ अनोखा देने का। भारत आज जिस रास्ते पर है, वो हमें आत्मनिर्भर और ग्लोबल लीडर बनाने की दिशा में ले जा रहा है। लेकिन इसके लिए हमें मेहनत करनी होगी, सहयोग करना होगा, और सबसे जरूरी, अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना होगा।
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