मरवाही: “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “एनीमिया मुक्त भारत” की ओर बड़ा कदम – मरवाही में 65 हजार महिलाओं की एचबी जांच
जिला प्रशासन द्वारा “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “एनीमिया मुक्त भारत” अभियान को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ी और सराहनीय पहल की गई है। इस पहल के तहत “रक्त शक्ति महा अभियान” नामक विशेष चिकित्सा अभियान का आयोजन किया गया, जिसमें जिले की 13 से 45 वर्ष की आयु वर्ग की लगभग 65 हजार महिलाओं की हीमोग्लोबिन (HB) जांच की गई।
230 स्थानों पर तैनात रहीं मेडिकल टीमें
अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने 230 स्थानों पर मेडिकल टीमों की तैनाती की। इन टीमों ने गांव-गांव जाकर महिलाओं की हीमोग्लोबिन स्तर की जांच की और उन्हें आवश्यक परामर्श भी प्रदान किया।
इस अभियान का उद्देश्य महिलाओं में एनीमिया (खून की कमी) की जांच कर उसे समय रहते नियंत्रित करना है, ताकि महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर हो और आने वाली पीढ़ी भी स्वस्थ हो सके।
महिला स्वास्थ्य को लेकर प्रशासन की बड़ी पहल
जिला कलेक्टर की निगरानी में चलाए जा रहे इस अभियान में बड़ी संख्या में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों और आंगनबाड़ी कर्मियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
अभियान से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि –
“महिलाओं के स्वास्थ्य की अनदेखी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, एक बड़ी चुनौती रही है। इस तरह के विशेष प्रयासों से हम महिलाओं में एनीमिया के स्तर को पहचानकर उन्हें सही समय पर इलाज दे सकते हैं।”
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ – स्वस्थ बेटी ही सक्षम राष्ट्र
इस अभियान को “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान से भी जोड़ा गया है, ताकि महिलाओं और बालिकाओं के समग्र विकास की दिशा में समन्वित कार्य हो सके। स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ पोषण जागरूकता, आयरन युक्त आहार, और स्वच्छता के महत्व पर भी ग्रामीण महिलाओं को जानकारी दी गई।
जनभागीदारी से मिली सफलता
“रक्त शक्ति महा अभियान” को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली। महिलाएं स्वेच्छा से जांच केंद्रों पर पहुंचीं और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां प्राप्त कीं। कई जगहों पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर महिलाओं को फोलिक एसिड और आयरन की गोलियां भी वितरित की गईं।
नारी सशक्तिकरण की दिशा में प्रभावशाली पहल
मरवाही में चलाए गए इस व्यापक अभियान ने यह साबित कर दिया है कि यदि प्रशासन और जनता साथ मिलकर काम करें, तो महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में ठोस परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।