पुणे: पुणे स्थित प्रतिष्ठित दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल पर एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज न देने के कारण उसकी मौत होने का गंभीर आरोप लगा है। तनिषा भिसे (26 वर्ष) की मृत्यु के बाद उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर जानबूझकर देरी करने और 10 लाख रुपये की मांग करने का आरोप लगाया है।
घटना का क्रम
- आपातकालीन स्थिति: 4 अप्रैल की सुबह, तनिषा को गंभीर रक्तस्राव और उच्च रक्तचाप के कारण अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने तुरंत सिजेरियन ऑपरेशन की सलाह दी।
- पैसों की मांग: परिजनों के अनुसार, अस्पताल ने ऑपरेशन से पहले 10 लाख रुपये (NICU खर्च के लिए) जमा करने को कहा। उन्होंने समय मांगा, लेकिन अस्पताल ने इलाज शुरू नहीं किया।
- मरीज की मौत: तनिषा की हालत बिगड़ती गई, और पैसे न जुटा पाने के कारण उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने की कोशिश के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई।

परिवार का आरोप:
- “डॉक्टरों ने कहा कि पैसे नहीं हैं तो ससुराल ले जाइए।”
- “रक्तस्राव रोकने की कोई कोशिश नहीं की गई।”
- तनिषा के पति सुशांत भिसे भाजपा नेता अमित गोरखे के सहायक हैं। उन्होंने भी अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली।
अस्पताल का पक्ष:
अस्पताल के प्रवक्ता रवि पालेकर ने आरोपों को “गलत और भ्रमित करने वाला” बताते हुए आंतरिक जांच का ऐलान किया है।
प्रतिक्रियाएँ:
- महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्षा रुपाली चाकणकर ने मामले की तहकीकात के आदेश दिए हैं।
- सोशल मीडिया पर अस्पताल के खिलाफ गुस्सा व्यक्त किया जा रहा है।
बच्चों की हालत:
तनिषा की जुड़वा संतानें (7 महीने की प्री-मैच्योर) NICU में हैं। एक बच्चे को वेंटिलेटर से हटाया जा चुका है, दोनों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है।