BY: MOHIT JAIN
इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) निर्माता ओला इलेक्ट्रिक ने भारत में पहली बार बिना रेयर अर्थ मेटल वाली टू-व्हीलर फेराइट मोटर विकसित की है। इस मोटर को भारत सरकार की ओर से मंजूरी भी मिल गई है।
भारत वर्तमान में इलेक्ट्रिक मोटर उत्पादन के लिए चीन पर निर्भर है। जब चीन रेयर अर्थ मेटल के निर्यात पर रोक लगाता है, तो भारत में मोटर निर्माण प्रभावित होता है। ओला की नई तकनीक से यह निर्भरता कम होगी और EV निर्माण में स्थिरता आएगी।
नई मोटर की तकनीक और फायदे

ओला इलेक्ट्रिक ने अपनी ‘संकल्प 2025’ प्रोग्राम में अगस्त 2025 में इस फेराइट मोटर की तकनीक पेश की थी। नई मोटर 7kW और 11kW दोनों प्रकार के मॉडल में उपलब्ध है और यह रेयर अर्थ मेटल वाली मोटरों जितना ही प्रदर्शन और मजबूती देती है।
ओला के अनुसार, फेराइट मोटर की लागत कम है और सप्लाई चेन में उतार-चढ़ाव का खतरा खत्म हो जाएगा। इसका मतलब है कि इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाना अब आसान और सस्ता हो जाएगा।
इस मोटर को तमिलनाडु के ग्लोबल ऑटोमोटिव रिसर्च सेंटर (GARC) ने टेस्ट किया और सड़क परिवहन मंत्रालय के AIS 041 नियम के अनुसार सर्टिफिकेट प्रदान किया।
रेयर अर्थ मेटल्स और उनकी भूमिका
रेयर अर्थ मेटल्स जैसे नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और टरबियम का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल मोटर्स में किया जाता है। ये परमानेंट मैग्नेट मोटर्स को छोटा, हल्का और अधिक एफिशिएंट बनाते हैं, जिससे EV की रेंज और प्रदर्शन बेहतर होता है।
इसके अलावा ये धातुएं पेट्रोल-डीजल वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर, सेंसर और डिस्प्ले सिस्टम में भी इस्तेमाल होती हैं।
चीन पर निर्भरता घटाने में मदद

ग्लोबल स्तर पर रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की करीब 70% हिस्सेदारी है और उत्पादन में 90% तक। हाल ही में चीन ने अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
चीन ने कार, ड्रोन, रोबोट और मिसाइल बनाने वाले मैग्नेट के शिपमेंट भी रोक दिए हैं। नई फेराइट मोटर से भारत इन चुनौतियों से निपट सकेगा और EV उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
ओला इलेक्ट्रिक की यह नई फेराइट मोटर भारत में EV उद्योग में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम है। लागत कम होने और सप्लाई चेन स्थिर होने के कारण यह तकनीक देश में इलेक्ट्रिक स्कूटर और मोटरबाइक निर्माण को और सस्ता और प्रभावी बनाएगी।





