जिला प्रशासन ने जांच के दिए निर्देश
स्थान: कोंडागांव | संवाददाता: अमरेश कुमार झा
कोंडागांव के सखी वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक पर एक युवती और एक नाबालिक लड़की ने गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों ने जिला कलेक्टर और महिला एवं बाल विकास विभाग से लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए केंद्र प्रशासक पर अभद्रता करने और एक लाख रुपए की मांग करने का आरोप लगाया है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
घटनाक्रम का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 18 मार्च 2025 को युवती को काउंसलिंग के नाम पर सखी सेंटर बुलाया गया था। युवती ने आरोप लगाया कि उसे एक कमरे में एक से डेढ़ घंटे तक बंद रखा गया और जब अभिभावकों ने स्थिति जानने की कोशिश की तो उन्हें कार्यवाही चलने का हवाला देकर रोक दिया गया।
युवती का आरोप है कि काउंसलिंग के दौरान केंद्र प्रशासक द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया और दबाव बनाकर एक पत्र पर हस्ताक्षर कराए गए। इतना ही नहीं, उसे कई बार बुलाकर घंटों इंतजार कराया गया और फिर एक लाख रुपए की मांग की गई। रकम न देने पर उसे जेल भेजने की धमकी भी दी गई।
सखी सेंटर की कार्यप्रणाली पर पहले से सवाल
यह पहला मामला नहीं है जब सखी सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हों। वर्ष 2024 में भी एक नाबालिक लड़की ने गंभीर आरोप लगाए थे कि गर्भवती होने के बावजूद सखी सेंटर ने उसे आरोपी युवक के साथ भेज दिया था। इस प्रकरण में पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ कार्रवाई की थी, लेकिन सेंटर की भूमिका की जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अवनी बिस्वाल ने कहा कि शिकायतों की जांच कराई जाएगी और यदि नाबालिक लड़की को आरोपी युवक के साथ भेजा गया था तो यह एक गंभीर चूक है।
वहीं, कोण्डागांव कलेक्टर नूपुर राशी पन्ना ने बताया कि मामला संज्ञान में लिया गया है और शीघ्र आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
कानूनी दृष्टिकोण
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि सखी सेंटर का प्राथमिक कर्तव्य पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। किसी नाबालिक पीड़िता को आरोपी के साथ भेजना कानूनन गलत है और इस प्रकार की लापरवाही के लिए संस्थान को जवाबदेह ठहराया जा सकता है।