क्या है खबर?
मध्य प्रदेश सरकार ने ग्वालियर में टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग ज़ोन (TMZ) बनाने का प्रस्ताव रखा है। ये ज़ोन लगभग 350 एकड़ जमीन पर बनेगा और इसमें टेलीकॉम से जुड़े सामान जैसे मोबाइल हैंडसेट, सिम कार्ड, एंटीना, ऑप्टिकल डिवाइस, वाई-फाई उपकरण, टेलीकॉम चिप्स और भविष्य की 6G टेक्नोलॉजी के लिए R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) जैसी चीजें शामिल होंगी। इस प्रोजेक्ट की घोषणा भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई एक मीटिंग में की गई।
क्यों है ये खास?
- प्लग-एंड-प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर: कंपनियों को तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा, जिससे प्रोडक्शन शुरू करना आसान होगा।
- वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन: सरकार टैक्स छूट और अन्य सुविधाएं देगी।
- हाई-टेक लैब्स और डिज़ाइन सेंटर: कंपनियां अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगी।
- सेंट्रल लोकेशन का फायदा: मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और मजबूत लॉजिस्टिक्स इसे निवेश के लिए आकर्षक बनाते हैं।
क्या होगा असर?
- नौकरियां और आर्थिक विकास: इस ज़ोन से हजारों नौकरियां पैदा होंगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- आत्मनिर्भर भारत: ये प्रोजेक्ट भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल का हिस्सा है, जिसका मकसद देश में हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग और R&D को बढ़ावा देना है।
- ग्लोबल मार्केट में हिस्सेदारी: भारत का टेलीकॉम सेक्टर वैश्विक स्तर पर और मज़बूत होगा।
ग्रीन कॉरिडोर एक्सप्रेसवे का प्लान
ग्वालियर के पास SADA (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) में ग्रीन कॉरिडोर एक्सप्रेसवे भी बनाया जाएगा। इससे ग्वालियर और आगरा के बीच का सफर 50 मिनट में पूरा होगा। इसका सीधा फायदा कंपनियों को होगा, क्योंकि लॉजिस्टिक्स कॉस्ट कम होगी।
कौन-कौन शामिल है?
- बड़ी कंपनियां: डिक्सन, वॉयकॉन, IBM, निक्सन और एरिक्सन जैसी टेलीकॉम दिग्गज इस प्रोजेक्ट में निवेश कर सकती हैं।
- मीटिंग में हिस्सा लेने वाले: डिक्सन के चेयरमैन अतुल बी लाल, TEMA के चेयरमैन प्रो. एनके गोयल, तेजस के CEO आनंद अथर्या, और एरिक्सन की अश्विनी पटकुर जैसे लोग शामिल थे।
क्या है सरकार का प्लान?
- 271 हेक्टेयर जमीन: SADA ग्वालियर की जमीन को इंडस्ट्रियल पॉलिसी और निवेश प्रोत्साहन विभाग को ट्रांसफर किया जाएगा।
- 18 नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी: चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन ने बताया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के दौरान 18 नई नीतियां लागू की गई हैं ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
क्या है चुनौती?
- प्रतिस्पर्धा: गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य भी टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग में निवेश आकर्षित कर रहे हैं। मध्य प्रदेश को अपनी नीतियों और इंफ्रास्ट्रक्चर के दम पर इनसे मुकाबला करना होगा।
- कुशल श्रमिक: हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग के लिए स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत होगी, जिसके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स शुरू करने होंगे।
आगे क्या?
निवेशक जल्द ही अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देंगे और सरकार को सूचित करेंगे। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो ग्वालियर जल्द ही भारत के टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा हब बन सकता है।
आपकी राय?
क्या आपको लगता है कि ये प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश की तस्वीर बदल सकता है? कमेंट में बताएं और इस खबर को शेयर करें!