मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL) के प्लांट से लिक्विड नाइट्रोजन गैस का रिसाव हुआ, जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। घटना की जानकारी प्रशासन को 5 घंटे की देरी से मिली, जबकि रिसाव मंगलवार रात 12 बजे से ही शुरू हो गया था।
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क्या हुआ था?
- लीकेज का कारण: प्लांट में पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) को प्रोसेस करने वाले सिस्टम में तकनीकी खराबी।
- प्रतिक्रिया में देरी: कंपनी ने पहले खुद ही लीकेज रोकने की कोशिश की, लेकिन असफल रही। रातभर चले ऑपरेशन के बाद भी स्थिति काबू में नहीं आई।
- एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीमें सुबह मौके पर पहुंचीं और सुबह 10:30 तक रिसाव रोका जा सका।
प्रशासन की भूमिका: जांच और आलोचना
- कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा ने कहा – “कंपनी ने देरी से सूचना दी, जो गंभीर लापरवाही है।”
- सुरक्षा ऑडिट: गैल के जयपुर और दिल्ली के अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्लांट को तब तक बंद रखा जाएगा, जब तक सेफ्टी चेक पूरा नहीं हो जाता।
- लोगों को हटाया गया: प्लांट के 1 किमी के दायरे को खाली करवाया गया। कुछ कर्मचारियों को सांस लेने में तकलीफ होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया, हालांकि कंपनी इससे इनकार कर रही है।
बड़ा सवाल: क्यों होते हैं ऐसे हादसे?
- मेंटेनेंस की लापरवाही: क्या नियमित जांच नहीं हुई?
- इमरजेंसी प्रोटोकॉल का अभाव: कर्मचारियों को प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया गया?
- सूचना देरी: कंपनी ने प्रशासन को 5 घंटे बाद अलर्ट किया। अगर समय रहते एक्शन लिया जाता, तो स्थिति जल्दी काबू में आ सकती थी।
भविष्य के खतरे?
- मंडीदीप, गोविंदपुरा और आसपास के उद्योगों को गैस सप्लाई बाधित हो सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: रिसी हुई गैस का हवा और पानी पर क्या असर पड़ेगा, इसकी जांच होनी चाहिए।
निष्कर्ष
यह घटना औद्योगिक सुरक्षा की कमियों को उजागर करती है। सरकार को सख्त नियम बनाने चाहिए और कंपनियों पर तुरंत रिपोर्टिंग का दबाव डालना चाहिए। वरना, भोपाल गैस त्रासदी जैसी घटनाओं का खतरा बना रहेगा।
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