उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। सोमवार को जिले के अतरासी गांव में स्थित एक पटाखा फैक्टरी में भीषण विस्फोट हुआ, जिसमें चार महिलाओं की जान चली गई और 12 से अधिक लोग घायल हो गए। धमाके की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई और फैक्टरी का मलबा 300 मीटर तक फैल गया।
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कहां और कैसे हुआ हादसा?
- स्थान: अतरासी गांव, अमरोहा, उत्तर प्रदेश
- स्थान विवरण: जंगल में स्थित फैक्टरी, गांव से करीब 2 किलोमीटर अंदर
- घटना का समय: सोमवार को कामकाज के समय
- कर्मचारी: धमाके के वक्त करीब 25 लोग फैक्टरी के अंदर मौजूद थे
धमाके की तीव्रता और असर
- धमाका इतना जोरदार था कि फैक्टरी पूरी तरह ध्वस्त हो गई।
- टिन शेड से बनी फैक्टरी का मलबा 300 मीटर दूर तक उछलकर फैल गया।
- आसपास के गांवों तक धमाके की आवाज सुनी गई, जिससे ग्रामीणों में भय फैल गया।
- प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लगातार 15 मिनट तक रुक-रुक कर धमाके होते रहे, जिससे दहशत और बढ़ गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन और घायलों का इलाज
- धमाके के तुरंत बाद पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची।
- घायलों को तत्काल पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
- 12 से अधिक लोग घायल, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
- मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया और मलबे से लोगों को निकाला गया।
जांच में जुटी पुलिस और प्रशासन
- जिलाधिकारी निधि गुप्ता और पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
- उन्होंने हादसे में चार महिलाओं की मौत की पुष्टि की।
- धमाके के कारणों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय टीम गठित की गई है।
- फैक्टरी के लाइसेंस और सुरक्षा मानकों की जांच की जा रही है।
- क्या फैक्टरी वैध रूप से संचालित हो रही थी?—इस सवाल की जांच प्रशासन कर रहा है।
इलाके में दहशत का माहौल
- धमाके के बाद से गांव में डर और बेचैनी का माहौल है।
- ग्रामीणों का कहना है कि इस फैक्टरी के संचालन पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी।
- अब यह हादसा प्रशासन और सुरक्षा मानकों पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
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सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने ली जानें
अमरोहा की यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि कैसे सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही बड़े हादसों में बदल जाती है। चार महिलाओं की मौत और दर्जनों घायल लोगों की पीड़ा यह सवाल उठाती है कि क्या हमारे औद्योगिक नियम और प्रशासनिक निगरानी पर्याप्त है?