देश में लंबे इंतजार के बाद फिर से जनगणना की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, जिसमें पहली बार 96 साल बाद जाति का डेटा एकत्रित किया जाएगा। पिछली बार जाति जनगणना 1931 में हुई थी, जबकि 2011 की जनगणना में जाति संबंधी आंकड़े नहीं जुटाए गए थे। कोविड महामारी के कारण 2021 में टली हुई जनगणना अब 2026-27 में दो चरणों में पूरी की जाएगी। इस महत्वपूर्ण जनगणना से देश के सामाजिक-आर्थिक और जातिगत आंकड़ों को लेकर नई जानकारी सामने आएगी, जो नीति निर्माण और विकास योजनाओं के लिए अहम साबित होगी।
14 साल बाद देश में होगी नई जनगणना: क्या है पूरा प्लान?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में जनगणना-2027 के तहत जाति जनगणना कराने का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस बार जाति जनगणना मूल जनगणना के साथ एकसाथ की जाएगी। विपक्षी दलों समेत कई पार्टियों की यह पुरानी मांग थी कि देश में जातिगत आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं।
जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी:
- पहला चरण: 1 अक्टूबर 2026 तक, जिसमें बर्फबारी वाले राज्य जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं।
- दूसरा चरण: 1 मार्च 2027 तक, जिसमें बाकी देश के सभी हिस्से शामिल होंगे।
सरकार की उम्मीद है कि 16 जून 2025 को इस प्रक्रिया की आधिकारिक अधिसूचना जारी हो जाएगी।
पिछली जनगणना और कोरोना का प्रभाव
देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जो हर 10 साल पर अनिवार्य होती है। कोरोना महामारी के चलते 2021 में होने वाली जनगणना को स्थगित करना पड़ा था। 2011 की जनगणना भी दो चरणों में हुई थी, जिसमें बर्फबारी वाले राज्यों में एक साल पहले से काम शुरू कर दिया गया था ताकि वहां की खास परिस्थितियों का ध्यान रखा जा सके।
जनगणना पूरी होने के बाद नए आंकड़ों के आधार पर परिसीमन का कार्य भी संपन्न किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया देश की आबादी, जाति, और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने में मदद करेगी।
जानिए जनगणना से जुड़े अहम तथ्य
- 96 साल बाद देश में फिर से जाति जनगणना होगी।
- आखिरी बार जाति के आंकड़े 1931 की जनगणना में जुटाए गए थे।
- देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी।
- कोविड के कारण 2021 की जनगणना स्थगित हो गई थी।
- जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी, जिसमें बर्फबारी वाले राज्यों के लिए अलग समय सीमा निर्धारित है।
संसद का मॉनसून सत्र भी जल्द शुरू होगा
संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 के बीच आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी घोषणा की है। यह सत्र कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का मंच होगा, जिसमें जनगणना जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय भी उठाए जा सकते हैं।
क्यों है यह जनगणना खास?
यह पहली बार है जब 96 साल बाद देश में जातिगत आंकड़े जुटाए जाएंगे, जो भारत की सामाजिक संरचना और विकास नीतियों को नए आयाम देंगे। नीति निर्धारकों को इन आंकड़ों से समाज के हर वर्ग की स्थिति को बेहतर समझने और सुधारात्मक कदम उठाने में मदद मिलेगी।