- भोपाल के एक जिम में मुस्लिम ट्रेनर्स और ग्राहकों की एंट्री रोकने का वीडियो वायरल
- सब-इंस्पेक्टर दिनेश शर्मा ने जिम मालिक को दिए निर्देश: “कोई मुस्लिम यहां ट्रेनिंग नहीं देगा”
- बीजेपी सांसद आलोक शर्मा ने दिया समर्थन, कहा महिलाओं को सिर्फ महिला ट्रेनर ही दें प्रशिक्षण
- मामले की जांच शुरू, मोहसिन खान की गिरफ्तारी से जुड़ा विवाद
📰 वायरल वीडियो: सब-इंस्पेक्टर का भड़काऊ बयान
भोपाल के अयोध्या नगर इलाके से सामने आया एक वीडियो सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त वायरल हो गया है। इस वीडियो में सब-इंस्पेक्टर दिनेश शर्मा एक जिम मालिक को यह कहते नजर आ रहे हैं:
“यहां कोई मुस्लिम न ट्रेनिंग देगा, न लेगा। मैंने साफ कह दिया है।”
यह वीडियो कथित तौर पर कुछ दिन पहले का है, जब बजरंग दल के कार्यकर्ता एक जिम में मुस्लिम ट्रेनर्स की उपस्थिति को लेकर आपत्ति जताने पहुंचे थे। तनाव बढ़ने पर पुलिस मौके पर पहुंची, जहां सब-इंस्पेक्टर दिनेश शर्मा ने यह विवादित बयान दिया।
🧑⚖️ पुलिस विभाग ने की जांच शुरू
वीडियो वायरल होने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तुरंत संज्ञान लिया और आंतरिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस विभाग का कहना है कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए निष्पक्ष जांच की जाएगी।
🗣️ बीजेपी सांसद आलोक शर्मा का समर्थन
भोपाल से सांसद और बीजेपी नेता आलोक शर्मा ने सब-इंस्पेक्टर के बयान का समर्थन करते हुए कहा:
- महिलाओं के लिए केवल महिला ट्रेनर होने चाहिए
- मुस्लिम ट्रेनर्स की सूची तैयार कर पुलिस को सौंपी जाएगी
- “लव जिहाद और लैंड जिहाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”
उनका बयान भी सोशल मीडिया पर चर्चा में बना हुआ है।
🧑✈️ मोहसिन खान मामला: विवाद की जड़
इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई मोहसिन खान नामक व्यक्ति की गिरफ्तारी से। मोहसिन इंदौर के एक शूटिंग अकादमी का संचालक है और उस पर एक युवती को राइफल शूटिंग सिखाने के बहाने छेड़छाड़ करने का आरोप है।
बजरंग दल का आरोप:
- मोहसिन खान “मासूम हिंदू बेटियों को फंसा रहा था”
- उसके मोबाइल से 150 से ज्यादा हिंदू लड़कियों की जानकारी मिली
इस मामले ने सांप्रदायिक तनाव को और हवा दी है, जिससे जिम में मुस्लिमों की एंट्री को लेकर विवाद खड़ा हुआ।
⚠️ मध्यप्रदेश में बढ़ते तनाव की चिंताजनक तस्वीर
हाल के महीनों में भोपाल और आसपास के शहरों में “लव जिहाद” और “यौन शोषण रैकेट” के आरोपों को लेकर तनाव की स्थिति देखने को मिली है। इस माहौल में अधिकारियों के ऐसे बयान साम्प्रदायिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
📢 निष्कर्ष: पुलिस और नेताओं की जवाबदेही जरूरी
भोपाल जैसी राजधानी में जब कानून के रक्षक इस तरह की भेदभावपूर्ण बातें करते हैं, तो आम जनता की सुरक्षा पर सवाल उठता है। चाहे आरोपी कोई भी हो, धर्म के आधार पर फैसला करना संविधान के खिलाफ है।
इस पूरे प्रकरण में पुलिस प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व दोनों की संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी बेहद ज़रूरी है।





