by: vijay nandan
अजमेर: पुष्कर पशु मेले में इस बार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है चंडीगढ़ से आया 15 करोड़ रुपये का घोड़ा ‘शाहबाज़’। ढाई साल का यह शानदार घोड़ा अपनी ताकत, चाल और खूबसूरती से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है।
इसके मालिक गैरी गिल का कहना है कि “शाहबाज़ कई शो जीत चुका है और यह एक प्रतिष्ठित नस्ल का घोड़ा है।” उन्होंने बताया कि घोड़े की कवरिंग फीस 2 लाख रुपये है, जबकि मेले में उसकी बोली 15 करोड़ रुपये तक लगाई गई है। अब तक 9 करोड़ रुपये तक के प्रस्ताव मिल चुके हैं, लेकिन मालिक इसे बेचने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। शाहबाज़ की अनोखी चाल और आकर्षक लुक्स देखकर मेले में आए लोग इसकी एक झलक पाने के लिए उमड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह घोड़ा इस बार के पुष्कर मेले की सबसे बड़ी सनसनी बना हुआ है।

पुष्कर पशु मेला: परंपरा, आस्था और व्यापार का संगम
राजस्थान के अजमेर जिले के पुष्कर में हर साल लगने वाला पुष्कर पशु मेला देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मेलों में से एक माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होता है, जब हजारों श्रद्धालु पवित्र पुष्कर झील में स्नान करने आते हैं। धार्मिक आस्था के साथ-साथ यह मेला पशु व्यापार, संस्कृति और लोक कला का भी शानदार संगम है। इस मेले की सबसे खास बात है यहां होने वाला ऊंट, घोड़े और गायों का मेला, जहां दूर-दूर से पशुपालक अपने बेहतरीन जानवर लेकर आते हैं। यहां पशुओं की खूबसूरती, ताकत और नस्ल के आधार पर प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
#WATCH | Ajmer, Rajasthan: Horse from Chandigarh, priced at Rs 15 crore, draws attention at Pushkar Cattle Fair.
— ANI (@ANI) October 27, 2025
Owner of the horse, Gary Gill says, "… Shahbaz, a two-and-a-half-year-old horse, has won multiple shows and belongs to a prestigious lineage. His covering fee is Rs… pic.twitter.com/UT4JM3DrPX
इस बार के प्रमुख आकर्षण:
घोड़े: चंडीगढ़ से आया 15 करोड़ का ‘शाहबाज़’ घोड़ा इस बार की सबसे बड़ी सनसनी बना हुआ है। इसके अलावा मारवाड़ी और सिंधी नस्ल के घोड़े भी लोगों का ध्यान खींच रहे हैं।
ऊंट: थार मरुस्थल के ऊंटों की सजावट, रेस और सौंदर्य प्रतियोगिता मेले की जान हैं। सजाए गए ऊंटों की परेड देखने बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।
गाय-बैल: राजस्थान और गुजरात से लाई गईं दुधारू नस्ल की गायें और शक्तिशाली बैल भी व्यापारियों और किसानों के बीच चर्चा में हैं।
भेड़-बकरियां: ग्रामीण क्षेत्रों से आई भेड़-बकरियों की नीलामी और खरीद-फरोख्त भी लगातार चलती रहती है।
इसके अलावा मेले में लोकनृत्य, कठपुतली शो, लोकगीत, हस्तशिल्प बाजार और राजस्थानी व्यंजन पर्यटकों को पारंपरिक संस्कृति का अनुभव कराते हैं। कुल मिलाकर, पुष्कर पशु मेला न सिर्फ पशुओं का मेला है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और जीवंत परंपरा का उत्सव भी है।





